यदि सूर्य और ग्रहों पर भारी मात्रा में विपरीत आवेश हों,

  1. केप्लर के तीनों नियम अभी भी मान्य होंगे।
  2. केवल तीसरा नियम मान्य होगा।
  3. दूसरा नियम नहीं बदलेगा।
  4. पहला नियम अभी भी मान्य होगा।

Answer (Detailed Solution Below)

Option :

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अवधारणा:

ग्रहों की गति के केप्लर के नियम
प्रथम नियम (कक्षाओं का नियम): सभी ग्रह दीर्घवृत्ताकार कक्षाओं में सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाते हैं, जिसमें से एक फोकस पर सूर्य होता है।
द्वितीय नियम (क्षेत्रफल का नियम): सूर्य से ग्रह की ओर खींचा गया त्रिज्या सदिश समय के समान अंतराल में समान क्षेत्रफलों को पार करता है।
तृतीय नियम (अवधि का नियम): एक दीर्घवृत्ताकार कक्षा में सूर्य के चारों ओर एक ग्रह की परिक्रमा की समयावधि का वर्ग उसके अर्ध-मुख्य अक्ष के घन के अनुक्रमानुपाती होता है।

व्याख्या:

→विपरीत आवेशों के कारण, सूर्य और ग्रह के बीच त्रिज्य रूप से कार्यरत कूलॉम का स्थिरवैद्युत बल होगा।
इसी तरह, सूर्य और त्रिज्य रूप से कार्यरत ग्रह के बीच एक गुरुत्वाकर्षण बल होगा।
→इसलिए, शुद्ध आकर्षण बल बढ़ेगा और इसका परिमाण अभी भी सूर्य से ग्रह की दूरी पर निर्भर करेगा, क्योंकि वे दोनों केंद्रीय बल हैं।
→ यह केप्लर के तीन नियमों के मापदंडों में कोई परिवर्तन नहीं करेगा। इस प्रकार केप्लर के तीनों नियम मान्य होंगे।

अत: विकल्प (1) सही उत्तर है।

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