काव्य पंक्तियाँ MCQ Quiz - Objective Question with Answer for काव्य पंक्तियाँ - Download Free PDF

Last updated on Jun 11, 2025

Latest काव्य पंक्तियाँ MCQ Objective Questions

काव्य पंक्तियाँ Question 1:

"अकाल में दूब" कविता में कवि ने दूब की खोज कहाँ-कहाँ की?

  1. पड़ोसी गाँवों और नदियों में
  2. जंगलों और पहाड़ों में
  3. परती-पराठ, कुओं, गली-चौराहों में
  4. गाँव के मंदिरों और स्कूलों में

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : परती-पराठ, कुओं, गली-चौराहों में

काव्य पंक्तियाँ Question 1 Detailed Solution

उत्तर- परती-पराठ, कुओं, गली-चौराहों में
 

विश्लेषण: कवि ने दूब की खोज के लिए "परती-पराठ खोजता हूँ, कुओं में झाँकता हूँ, गली-चौराहे छान डालता हूँ" जैसे स्थानों का उल्लेख किया है, जो गाँव के विभिन्न हिस्सों को दर्शाता है।

काव्य पंक्तियाँ Question 2:

"अकाल में दूब" कविता में पिता ने अकाल के बारे में क्या कहा?

  1. ऐसा अकाल देखा है, लेकिन दूब नहीं मरती
  2. ऐसा अकाल पहले भी कई बार देखा है
  3. ऐसा अकाल देखा है, जिसमें मवेशी मर गए
  4. ऐसा अकाल कभी नहीं देखा, जिसमें दूब तक झुलस जाए

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : ऐसा अकाल कभी नहीं देखा, जिसमें दूब तक झुलस जाए

काव्य पंक्तियाँ Question 2 Detailed Solution

उत्तर- ऐसा अकाल कभी नहीं देखा, जिसमें दूब तक झुलस जाए
Key Points

विश्लेषण:

  • पिता कहते हैं, "ऐसा अकाल कभी नहीं देखा, ऐसा अकाल कि बस्ती में दूब तक झुलस जाए, सुना नहीं कभी," जो अकाल की अभूतपूर्वता और उसकी भयावहता को दर्शाता है।

काव्य पंक्तियाँ Question 3:

"अकाल में दूब" कविता में अकाल की भयावहता को सबसे पहले किनके पलायन से दर्शाया गया है?

  1. मवेशियों के पलायन से
  2. पक्षियों और चींटियों के पलायन से
  3. गाँव के लोगों के पलायन से
  4. दूब के झुलस जाने से

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : पक्षियों और चींटियों के पलायन से

काव्य पंक्तियाँ Question 3 Detailed Solution

उत्तर - पक्षियों और चींटियों के पलायन से
 

विश्लेषण: कविता की शुरुआत में अकाल की भयावहता को पक्षियों और चीटियों के पलायन से दर्शाया गया है। "पक्षी छोड़कर चले गए हैं पेड़ों को, बिलों को छोड़कर चले गए हैं चीटें चीटियाँ" पंक्तियाँ इस बात को स्पष्ट करती हैं।

काव्य पंक्तियाँ Question 4:

“मैं रथ का टूटा हुआ पहिया हूँ, लेकिन मुझे फेंको मत।” – यह उक्ति किस रचनाकार की है?

  1. सूर्यकांत त्रिपाठी निराला
  2. महादेवी वर्मा
  3. धर्मवीर भारती
  4. अज्ञेय

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : धर्मवीर भारती

काव्य पंक्तियाँ Question 4 Detailed Solution

“मैं रथ का टूटा हुआ पहिया हूँ, लेकिन मुझे फेंको मत।” – यह उक्ति धर्मवीर भारती रचनाकार की है

  • यह पंक्तियाँ 'टूटा पहिया' कविता से ली गई है। 

Key Pointsधर्मवीर भारती-

  • जन्म-1926-1997 ई.
  • इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश में इनका जन्म हुआ था। 
  • आधुनिक हिन्दी साहित्य के प्रमुख लेखक, कवि, नाटककार और सामाजिक विचारक थे।
  • वे साप्ताहिक पत्रिका 'धर्मयुग' के प्रधान संपादक भी रहे।
  • डॉ. धर्मवीर भारती को 1972 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया। 
  • दूसरा सप्तक के प्रमुख कवि है। 
  • काव्य रचनाएँ-
    • ठंडा लोहा (1952 ई.)
    • कनुप्रिया (1959 ई.)
    • सात गीत वर्ष (1959 ई.)
    • देशान्तर (1960 ई.) आदि। 

Important Pointsसूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'-

  • जन्म-1899-1961 ई. 
  • छायावादी प्रमुख रचनाकार है।
  • काव्य रचनाएँ-
    • अनामिका(1923 ई.)
    • परिमल(1930 ई.)
    • गीतिका(1936 ई.)
    • तुलसीदास(1938 ई.)
    • कुकुरमुत्ता(1942 ई.)
    • नये पत्ते(1946 ई.) आदि। 

महादेवी वर्मा - 

    • जन्म-1907-1987 ई. 
    • छायावाद की प्रसिद्ध कवियित्री है। 
    • 'यामा' काव्य कृति के लिए ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त है। 
    • उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान का भारत भारती पुरस्कार भी इन्हें मिला है। 
    • कविता संग्रह -
      • निहार (1930 ई.)
      • रश्मि (1932 ई.)
      • सांध्यगीत (1936 ई.)
      • दीपशिखा (1942 ई.) 
      • प्रथम आयाम (1974 ई.)
      • अग्निरेखा (1990 ई.) आदि।

अज्ञेय-

  • जन्म-1911-1987 ई. 
  • काव्य रचनाएँ-
    • भग्नदूत (1933 ई.)
    • चिंता (1942 ई.)
    • हरी घास पर क्षण भर (1949 ई.)
    • बावरा अहेरी (1954 ई.)
    • आंगन के पार द्वार (1961 ई.)
    • कितनी नावों में कितनी बार (1967 ई.) आदि।

काव्य पंक्तियाँ Question 5:

अज्ञेय द्वारा कृत 'कलगी बाजरे की' कविता में कवि ने किस ऋतु का वर्णन किया है?

  1. वसंत 
  2. शिशिर 
  3. शरद 
  4. हेमंत 

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : शरद 

काव्य पंक्तियाँ Question 5 Detailed Solution

अज्ञेय द्वारा कृत 'कलगी बाजरे की' कविता में कवि ने शरद ऋतु का वर्णन किया है। 

Key Pointsकलगी बाजरे की -

  • रचनाकार - सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय
  • प्रकाशन वर्ष -1949 ई.
  • मुख्य - 
    • यह कविता उनके हरी घास पर क्षणभर (1949 ई.) काव्य संग्रह से ली गई है।
    • अज्ञेय प्रयोगधर्मी कवि रहे हैं।
    • परंपरा में प्रयुक्त उपमान उनकी समझ में पुराने पड़कर घिस चुके हैं।
    • अपनी प्राण्याविभक्ति के लिए भी नये और ताजा उपमानो की खोज करते है।

Important Pointsअज्ञेय-

  • जन्म-1911-1987 ई. 
  • काव्य रचनाएँ-
    • भग्नदूत (1933 ई.)
    • चिंता (1942 ई.)
    • हरी घास पर क्षण भर (1949 ई.)
    • बावरा अहेरी (1954 ई.)
    • आंगन के पार द्वार (1961 ई.)
    • कितनी नावों में कितनी बार (1967 ई.) आदि। 

Additional Information

  • अगर मैं तुमको ललाती साँझ के नभ की अकेली तारिका
    अब नहीं कहता,
    या शरद के भोर की नीहार-न्हायी कुँई,
    टटकी कली चंपे की, वग़ैरह, तो
    नहीं कारण कि मेरा हृदय उथला या कि सूना है
    या कि मेरा प्यार मैला है।
  • आज हम शहरातियों को
    पालतू मालंच पर सँवरी जुही के फूल से
    सृष्टि के विस्तार का—ऐश्वर्य का—औदार्य का—
    कहीं सच्चा, कहीं प्यारा एक प्रतीक
    बिछली घास है,
    या शरद की साँझ के सूने गगन की पीठिका पर दोलती कलगी
    अकेली
    बाजरे की।

Top काव्य पंक्तियाँ MCQ Objective Questions

'मैं तो डूब गया था स्वयं शून्य में', 'असाध्य वीणा' में यह उक्ति किसकी है? 

  1. राजा की 
  2. किरीट की 
  3. प्रियंवद की 
  4. पाठक की 

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : प्रियंवद की 

काव्य पंक्तियाँ Question 6 Detailed Solution

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मैं तो डूब गया था स्वयं शून्य में', 'असाध्य वीणा' में यह उक्ति 'प्रियंवद की' है।

  • पंक्ति का अर्थः- (जब प्रियंवद वीणा को बजाता है तो स्वयं को संपूर्ण समर्पण करके अलौकिक (शून्य) स्थिति में पहुँच जाता हैं, मानो उसमें डूब जाता हैं।)

Key Points

  • असाध्य वीणा अज्ञेय की रचना है।
  • असाध्य वीणा कविता आँगन के पार द्वारा (1961) कविता संग्रह में है।
  • असाध्य वीणा ​एक लंबी कविता है, इसका मूल भाव अहं का विसर्जन है।

असाध्य वीणा कविता के प्रमुख पात्रः-

  • प्रियंवद, राजा, रानी, अन्य जन।

अज्ञेय की अन्य प्रमुख रचनाएँ:-

  • भग्नदूत (1933), चिंता (1942), इत्यलम् (1946), हरी घास पर क्षण भर (1949), इंद्रधनुष रौंदे हुए ये (1959) आदि।

Additional Information

असाध्य वीणा के प्रमुख तथ्यः-

कविता संबंधित तथ्य
असाध्य वीणा

1) लूंगामिन नामक घाटी में एक विशाल किरी वृक्ष था।

2) जिसमे किसी जादूगर ने एक वीणा का निर्माण किया।

3) अनेक वाद्य कलाकार इस वीणा को नही बजा सके।

4) अंत में वीणा का नाम असाध्य पड़ गया।

5) तब जा कर प्रियंवद नाम के एक साधक ने उस विणा को साधा (बजाया)।

'दुःख सबको माँजता है' प्रसिद्ध पंक्ति हैः

  1. सर्वेश्वर दयाल सक्सेना की
  2. मुक्तिबोध की
  3. धर्मवीर भारती की
  4. अज्ञेय 

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : अज्ञेय 

काव्य पंक्तियाँ Question 7 Detailed Solution

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  • 'दुःख सबको माँजता है' प्रसिद्ध पंक्ति: अज्ञेय की है।
  • "सांप! तुम सभ्य तो हुए नहीं तब कैसे सीखा डँसना" पंक्तियां भी अज्ञेय जी की प्रसिद्ध पंक्तियाँ में से एक है।
Key Points
  • उपर्युक्त पंक्तियां अज्ञेय जी की सांप कविता से है।
  • सांप, मुक्तक काव्य है।
  • यह "अज्ञेय"(जन्म-1911) जी के काव्य-संग्रह "इंद्र-धनु रौंदे हुए थे"(1954) से लिया गया है।
Important Points
  • अज्ञेय के कविता संग्रह:-
    • भग्नदूत (1933), चिन्ता (1942), इत्यलम् (1946), हरी घास पर क्षण भर (1949), बावरा अहेरी (1954), इन्द्रधनुष रौंदे हुये ये (1957), अरी ओ करुणा प्रभामय (1959), आँगन के पार द्वार (1961), कितनी नावों में कितनी बार (1967), क्योंकि मैं उसे जानता हूँ (1970), सागर मुद्रा (1970), पहले मैं सन्नाटा बुनता हूँ (1974), महावृक्ष के नीचे (1977), नदी की बाँक पर छाया (1981), प्रिज़न डेज़ एण्ड अदर पोयम्स (अंग्रेजी में,1946)
Additional Information

पंक्तियां

कवि

अब तक क्या किया, जीवन क्या जिया

गजानन माधव मुक्तिबोध (अंधेरे में) 

चुका भी हूं मैं नहीं

शमशेर बहादुर सिंह

फटा सूथन्ना पहने जिसका गुण हरा चना गाता है

रघुवीर सहाय

Confusion Points

'दुःख सब को माँजता है-अज्ञेय
''दुःख सब को माँजता है
    और -
    चाहे स्वयं सबको मुक्ति देना वह न जाने , किन्तु-
    जिन को माँजता है
    उन्हें यह सीख देता है कि सबको मुक्त रखें

'हे सजीले हरे सावन,
हे कि मेरे पुण्य पावन, 
तुम बरस लो वे न बरसें, 
पांचवें को वे न तरसें,"

उपर्युक्त काव्य पंक्तियों में किसके न बरसे की बात की गई है?

  1. माता-पिता 
  2. भाई-बहन 
  3. पत्नी 
  4. उपर्युक्त सभी 

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : माता-पिता 

काव्य पंक्तियाँ Question 8 Detailed Solution

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हे सजीले हरे सावन,
हे कि मेरे पुण्य पावन, 
तुम बरस लो वे न बरसें, 
पांचवें को वे न तरसें,"

  • उपर्युक्त काव्य पंक्तियों में कवि ने माता-पिता के न बरसे की बात की है। 
  • भावार्थ -
    • काव्य पंक्तियों में कवि सावन को संबोधित करते हुए कहता है कि तुम स्वयं चाहे जितना बरस लो पर उनके माता-पिता की आँखों में आँसू न आने देना और ध्यान रखना कि वो अपने पांचवे पुत्र को याद कर के दुःखी न हों ।

Key Points 

  • रचना - “घर की याद”
  • रचनाकार - भवानी प्रसाद मिश्र जी
  • विधा - काव्य 
  • प्रकाशन वर्ष - 
  • विषय -
  • सन 1942 में जब ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ में शामिल होने पर कवि को गिरफ्तार कर लिया जाता है, इसी दौरान सावन के मौसम में एक रात बहुत तेज़ बारिश होती है और कवि को अपने घर और परिवार की बहुत याद आती है घर की याद मे ही कवि इस कविता को लिखते है

Important Pointsभवानी प्रसाद मिश्र - 

  • जन्म - 29मार्च 1913 (मध्यप्रदेश)
  • मिश्र जी के अन्य काव्य संकलन -
    • गीत फरोश (1956)
    • चकित है दुःख (1968)
    • अँधेरी कविताएँ (1968)
    • गांधी पंचशती (1969)
    • बुनी हुई रस्सी (1971)

Additional Information

  • भवानी प्रसाद मिश्र जी को 1972 ई. मे बुनी हुई रस्सी नमक रचना के लिए सहित्य अकादमी पुरूस्कार सहित अनेक प्रतिष्ठित पुरुस्कारों से विभूषित किया गया है।  
  • मिश्र जी का पहला संग्रह गीत फरोश (1956) है जिसमे 1930 से 1945 की कविताएँ संग्रहित है।

“मैं रथ का टूटा हुआ पहिया हूँ, लेकिन मुझे फेंको मत।” – यह उक्ति किस रचनाकार की है?

  1. सूर्यकांत त्रिपाठी निराला
  2. महादेवी वर्मा
  3. धर्मवीर भारती
  4. अज्ञेय

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : धर्मवीर भारती

काव्य पंक्तियाँ Question 9 Detailed Solution

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“मैं रथ का टूटा हुआ पहिया हूँ, लेकिन मुझे फेंको मत।” – यह उक्ति धर्मवीर भारती रचनाकार की है

  • यह पंक्तियाँ 'टूटा पहिया' कविता से ली गई है। 

Key Pointsधर्मवीर भारती-

  • जन्म-1926-1997 ई.
  • इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश में इनका जन्म हुआ था। 
  • आधुनिक हिन्दी साहित्य के प्रमुख लेखक, कवि, नाटककार और सामाजिक विचारक थे।
  • वे साप्ताहिक पत्रिका 'धर्मयुग' के प्रधान संपादक भी रहे।
  • डॉ. धर्मवीर भारती को 1972 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया। 
  • दूसरा सप्तक के प्रमुख कवि है। 
  • काव्य रचनाएँ-
    • ठंडा लोहा (1952 ई.)
    • कनुप्रिया (1959 ई.)
    • सात गीत वर्ष (1959 ई.)
    • देशान्तर (1960 ई.) आदि। 

Important Pointsसूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'-

  • जन्म-1899-1961 ई. 
  • छायावादी प्रमुख रचनाकार है।
  • काव्य रचनाएँ-
    • अनामिका(1923 ई.)
    • परिमल(1930 ई.)
    • गीतिका(1936 ई.)
    • तुलसीदास(1938 ई.)
    • कुकुरमुत्ता(1942 ई.)
    • नये पत्ते(1946 ई.) आदि। 

महादेवी वर्मा - 

    • जन्म-1907-1987 ई. 
    • छायावाद की प्रसिद्ध कवियित्री है। 
    • 'यामा' काव्य कृति के लिए ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त है। 
    • उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान का भारत भारती पुरस्कार भी इन्हें मिला है। 
    • कविता संग्रह -
      • निहार (1930 ई.)
      • रश्मि (1932 ई.)
      • सांध्यगीत (1936 ई.)
      • दीपशिखा (1942 ई.) 
      • प्रथम आयाम (1974 ई.)
      • अग्निरेखा (1990 ई.) आदि।

अज्ञेय-

  • जन्म-1911-1987 ई. 
  • काव्य रचनाएँ-
    • भग्नदूत (1933 ई.)
    • चिंता (1942 ई.)
    • हरी घास पर क्षण भर (1949 ई.)
    • बावरा अहेरी (1954 ई.)
    • आंगन के पार द्वार (1961 ई.)
    • कितनी नावों में कितनी बार (1967 ई.) आदि।

'असाध्यवीणा' का संगीत सुनते ही राजा को क्या अनुभव हुआ?

  1. उन्हें अपनी महानता का बोध हुआ।
  2. उन्हें चारों ओर अपना जयघोष सुनाई दिया।
  3. उन्हें अपनी नश्वरता का बोध हुआ।
  4. उनका अहंकार नष्ट हो गया।

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : उनका अहंकार नष्ट हो गया।

काव्य पंक्तियाँ Question 10 Detailed Solution

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'असाध्यवीणा' का संगीत सुनते ही राजा को अनुभव हुआ कि उनका अहंकार नष्ट हो गया

  • राजा को अपने वैभव पर गर्व था परंतु प्रियम्वद द्वारा वीणा को साधने पर जो ज्ञान उन्हें प्राप्त हुआ उससे उनका अहंकार नष्ट हो गया

Key Pointsअसाध्य वीणा-

  • रचनाकार -अज्ञेय 
  • प्रकाशन वर्ष -1961 ई.
  • यह कविता 'आंगन के पार द्वार' काव्य संग्रह में संकलित है।
  • विषय-
    • यह कविता पाश्चात्य कथा को भारतीय मूल में रूपांतरित करके रचित है
    • किरीटी नामक वृक्ष से यह वीणा बनायी गयी है
    • दरबार के समस्त कलावंत इसे बजाने में असमर्थ है
    • सभी की विद्या व्यर्थ हो जाती है क्योकि इस वीणा को केवल एक सच्चा साधक ही साध सकता है 
    • अन्त में इस ‘असाध्य वीणा’ को केशकम्बली प्रियंवद ने साधकर दिखाया।
    • जब केशकम्बली प्रियंवद ने असाध्य वीणा को बजाकर दिखाया तब उससे निकलने वाले स्वरों को राजा,रानी और प्रजाजनों ने अलग-अलग सुना।

Important Pointsअज्ञेय-

  • जन्म-1911-1987  ई.
  • तार सप्तक(1943 ई.) के प्रणेता है। 
  • प्रयोगवादी कवि है।
  • मुख्य रचनाएँ-
    • भग्नदूत(1933 ई.), चिंता(1942 ई.), इत्यलम्(1946  ई.), हरी घास पर क्षणभर(1949 ई.), इन्द्रधनुष रौंदे हुए ये(1957 ई.) आदि।

Additional Informationकविता का सार-

  • असाध्य वीणा जीवन का प्रतीक है, हर व्यक्ति को अपनी भावना के अनुरूप ही उसकी स्वर लहरी प्रतीत होती है। 
  • कला की विशिष्टता उसके अलग-अलग सन्दर्भों में , अलग-अलग अर्थो में होती है।
  • ‘असाध्य वीणा’ को वही साध पाता है जो सत्य को एवं स्वयं को शोधता है या वो जो परिवेश और अपने को भूलकर उसी के प्रति समर्पित हो जाता है।
  • बौद्ध दर्शन में इसे ‘तथता’ कहा गया है जिसमे स्वयं को देकर ही सत्य को पाया जा सकता है।

'असाध्यवीणा' कविता में वीणा के मूक होने के बाद इनमें से क्या नहीं हुआ ?

  1. रानी ने सतलड़ी माला अर्पित की।
  2. राजा चकित हो गया ।
  3. जनता विह्वल हो गई ।
  4. संगीतकार उठ खड़ा हुआ ।

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : राजा चकित हो गया ।

काव्य पंक्तियाँ Question 11 Detailed Solution

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सही उत्तर 'राजा चकित हो गया' है जो नही हुआ हैं।

Key Points

  • असाध्यवीणा ( 1961ई. ) कविता संग्रह के लेखक अज्ञेय है।
  • असाध्यवीणा के प्रमुख पात्रः- प्रियंवद ,राजा , रानी आन्य जन ।
  • इसका विषयः- अहंकार का त्याग कर खुद को समर्पण करना ।

Additional Informationअज्ञेय की प्रमुख कृतियाँः-

कवि कृतियाँ
सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय

काव्य संग्रह - भग्नदूत , चिंता , इत्यलम् , हरी घास पर क्षण भर आदि।

कविताएँः- असाध्य वीणा , कलगी बाजरे की , साँप आदि 

कहानियाँ- विपथगा , परम्परा , कोठरी की बात आदि।

उपन्यास - शेखर एक जीवनी , नदी के द्वीप , अपने अपने अजनबी आदि।

जापानी लोककथा पर आधारित कविता कौन सी है?

  1. निशा निमंत्रण
  2. झरना
  3. असाध्य वीणा
  4. अभिशाप

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : असाध्य वीणा

काव्य पंक्तियाँ Question 12 Detailed Solution

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जापानी लोककथा पर आधारित कविता असाध्य वीणा है।

  • प्रकाशन वर्ष- 1961
  • रचनाकार- सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन 'अज्ञेय'

Key Points

  • असाध्य वीणा अज्ञेय जी की एक लम्बी कविता है।
  • इस कविता की रचना उन्होंने सनˎ1957-58 के जापान प्रवास के बाद 18-20 जून 1961 में अल्मोड़ा के कॉटेज में 321 पंक्ति वाली यह लंबी कविता लिखी थी।
  • यह कविता उनके काव्य संग्रह ‘आँगन के पार द्वार’ में संकलित है, जो 1961 में ही प्रकाशित हुआ था।
  • असाध्य वीणा कविता एक चीनी-जापानी लोक कथा पर आधारित है।
  • इस कविता की मूल कहानी ‘आकोकुरा’ की पुस्तक ‘द बुक ऑफ टी’ में ‘टेंमिंग ऑफ द हार्प’ शीर्षक में संकलित है।

Important Pointsकविता संग्रह:- 

  • भग्नदूत (1933)
  • चिन्ता (1942)
  • हरी घास पर क्षण भर (1949)
  • बावरा अहेरी (1954) 
  • इन्द्रधनुष रौंदे हुये ये (1957) 
  • आँगन के पार द्वार (1961)
  • कितनी नावों में कितनी बार (1967)
  • क्योंकि मैं उसे जानता हूँ (1970)
  • सागर मुद्रा (1970)
  • पहले मैं सन्नाटा बुनता हूँ (1974)

Additional Informationहरिवंश राय बच्चन की कविता संग्रह:-

  • निशा निमंत्रण (1938)
  • मधुशाला (1935)
  • मधुबाला (1936)
  • मधुकलश (1937)
  • सतरंगिनी (1945)
  • हलाहल (1946)

जयशंकर प्रसाद की कविता संग्रह:-

  • झरना (1918)
  • प्रेम-पथिक (1909)
  • लहर (1935)
  • आँसू (1925)
  • चित्राधार (1918)
  • कामायनी (1936)
  • कानन कुसुम (1913)

डॉ रामकुमार वर्मा की कविता संग्रह:-

  • अभिशाप (1931)
  • वीर हमीर (1922)
  • अंजलि (1930)
  • निशीथ (1935)
  • चित्ररेखा (1936)
  •  चित्तौड़ की चिंता (1929)

काव्य पंक्तियाँ Question 13:

अज्ञेय की पंक्तियाँ है:-

  1. अब तक क्या किया, जीवन क्या जिया 
  2. चुका भी हूँ मै नहीं 
  3. फटा सुप्न्ना पहने जिसका गुन हर चरना गाता है
  4. साँप ! तुम सभ्य तो हुए नही....तब कैसे सीखा डँसना 

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : साँप ! तुम सभ्य तो हुए नही....तब कैसे सीखा डँसना 

काव्य पंक्तियाँ Question 13 Detailed Solution

"सांप! तुम सभ्य तो हुए नहीं तब कैसे सीखा डँसना" पंक्तियां अज्ञेय जी की है। अतः यह विकल्प सही है तथा अन्य विकल्प असंगत हैं।

Key Points
  • उपर्युक्त पंक्तियां अज्ञेय जी की सांप कविता से है।
  • सांप, मुक्तक काव्य है।
  • यह "अज्ञेय"(जन्म-1911) जी के काव्य-संग्रह "इंद्र-धनु रौंदे हुए थे"(1954) से लिया गया है।
Important Points
  • अज्ञेय के कविता संग्रह:-
    • भग्नदूत (1933), चिन्ता (1942), इत्यलम् (1946), हरी घास पर क्षण भर (1949), बावरा अहेरी (1954), इन्द्रधनुष रौंदे हुये ये (1957), अरी ओ करुणा प्रभामय (1959), आँगन के पार द्वार (1961), कितनी नावों में कितनी बार (1967), क्योंकि मैं उसे जानता हूँ (1970), सागर मुद्रा (1970), पहले मैं सन्नाटा बुनता हूँ (1974), महावृक्ष के नीचे (1977), नदी की बाँक पर छाया (1981), प्रिज़न डेज़ एण्ड अदर पोयम्स (अंग्रेजी में,1946)
Additional Information

पंक्तियां

कवि

अब तक क्या किया, जीवन क्या जिया

गजानन माधव मुक्तिबोध (अंधेरे में) 

चुका भी हूं मैं नहीं

शमशेर बहादुर सिंह

फटा सूथन्ना पहने जिसका गुण हरा चना गाता है

रघुवीर सहाय

काव्य पंक्तियाँ Question 14:

'असाध्य वीणा' से संबंधित कौन सा कथन सही नहीं है ?

  1. अज्ञेय कृत 'आँगन के पार द्वार' में संकलित यह कविता बौद्ध दर्शन से प्रभावित मानी जाती है।
  2. वीणा का निर्माण पुराने किरीटी तरु से किया गया था।
  3. इस वीणा को कीर्तिध्वज ने बनाया था।
  4. राजा के दरबारी कलावंतों में से इस असाध्य वीणा को कोई नहीं बजा सका।

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : इस वीणा को कीर्तिध्वज ने बनाया था।

काव्य पंक्तियाँ Question 14 Detailed Solution

'असाध्य वीणा' से संबंधित सही कथन नहीं है- इस वीणा को कीर्तिध्वज ने बनाया था।

  • यह वीणा वज्रकीर्ति ने बनाई थी।

Key Pointsअसाध्य वीणा-

  • रचनाकार-अज्ञेय 
  • प्रकाशन वर्ष-1961 ई.
  • यह कविता 'आंगन के पार द्वार' काव्य संग्रह में संकलित है
  • विषय-
    • यह कविता पाश्चात्य कथा को भारतीय मूल में रूपांतरित करके रचित है
    • किरीटी नामक वृक्ष से यह वीणा बनायी गयी है
    • दरबार के समस्त कलावंत इसे बजाने में असमर्थ है
    • सभी की विद्या व्यर्थ हो जाती है क्योकि इस वीणा को केवल एक सच्चा साधक ही साध सकता है 
    • अन्त में इस ‘असाध्य वीणा’ को केशकम्बली प्रियंवद ने साधकर दिखाया।
    • जब केशकम्बली प्रियंवद ने असाध्य वीणा को बजाकर दिखाया तब उससे निकलने वाले स्वरों को राजा,रानी और प्रजाजनों ने अलग-अलग सुना।

Important Pointsअज्ञेय-

  • जन्म-1911-1987  ई.
  • तार सप्तक(1943 ई.) के प्रणेता है 
  • प्रयोगवादी कवि है
  • मुख्य रचनाएँ-
    • भग्नदूत(1933 ई.),चिंता(1942 ई.),इत्यलम्(1946  ई.),हरी घास पर क्षणभर(1949 ई.),इन्द्रधनुष रौंदे हुए ये(1957 ई.) आदि

Additional Informationकविता का सार-

  • असाध्य वीणा जीवन का प्रतीक है, हर व्यक्ति को अपनी भावना के अनुरूप ही उसकी स्वर लहरी प्रतीत होती है। 
  • कला की विशिष्टता उसके अलग-अलग सन्दर्भों में , अलग-अलग अर्थो में होती है।
  • ‘असाध्य वीणा’ को वही साध पाता है जो सत्य को एवं स्वयं को शोधता है या वो जो परिवेश और अपने को भूलकर उसी के प्रति समर्पित हो जाता है।
  • बौद्ध दर्शन में इसे ‘तथता’ कहा गया है जिसमे स्वयं को देकर ही सत्य को पाया जा सकता है

काव्य पंक्तियाँ Question 15:

“भारत का दूसरा भाग भी चूप नही, और दूसरा पक्ष भी चुप नही है” पंक्तियाँ है?

  1. भूल गलती
  2. अँधेरे में
  3. ब्रहमराक्षस
  4. नदी के द्वीप

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : अँधेरे में

काव्य पंक्तियाँ Question 15 Detailed Solution

अँधेरे में यहाँ उचित विकल्प है|

उक्त पंक्तियाँ अँधेरे में  से सम्बन्धित है

अँधेरा -सामाजिक अव्यवस्था का प्रतीक|

उपर्युक्त रचनाएँ गजानंद माधव मुक्ति बोध जी की है|

नदी के द्वीप - अज्ञेय की

विशेष-

अन्य याद रखने योग्य रचनाएँ-

भूल गलती - चाँद का मुँह टेढ़ा - 1964

अँधेरे में (लम्बी कविता)-  चाँद का मुँह टेढ़ा - 1964

ब्रहमराक्षस 1957

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