काव्य पंक्तियाँ MCQ Quiz in বাংলা - Objective Question with Answer for काव्य पंक्तियाँ - বিনামূল্যে ডাউনলোড করুন [PDF]

Last updated on Mar 25, 2025

পাওয়া काव्य पंक्तियाँ उत्तरे आणि तपशीलवार उपायांसह एकाधिक निवड प्रश्न (MCQ क्विझ). এই বিনামূল্যে ডাউনলোড করুন काव्य पंक्तियाँ MCQ কুইজ পিডিএফ এবং আপনার আসন্ন পরীক্ষার জন্য প্রস্তুত করুন যেমন ব্যাঙ্কিং, এসএসসি, রেলওয়ে, ইউপিএসসি, রাজ্য পিএসসি।

Latest काव्य पंक्तियाँ MCQ Objective Questions

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काव्य पंक्तियाँ Question 1:

'असाध्य - वीणा साहित्य - साधना की संकेतक है। प्रियंवद की तरह इसकी साधना में -

  1. आत्मान्वेषण करना पड़ता है।
  2. परान्वेषण करना पड़ता है।
  3. सांस्कृतिक शोध करना पड़ता है।
  4. समाज से पराङ्मुख होना पड़ता है।

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : आत्मान्वेषण करना पड़ता है।

काव्य पंक्तियाँ Question 1 Detailed Solution

'असाध्य - वीणा साहित्य - साधना की संकेतक है। प्रियंवद की तरह इसकी साधना में -आत्मान्वेषण करना पड़ता है।

Key Pointsअसाध्य - वीणा-

  • प्रकाशन वर्ष-1961ई.
  • रचनाकार-अज्ञेय
  • विधा-काव्य
  • यह कविता आँगन के पार द्वार काव्य संग्रह में संकलित है।
  • यह अज्ञेय द्वारा लिखित एक लम्बी कविता है।

Important Pointsविषय-

  • यह कविता पाश्चात्य कथा को भारतीय मूल में रूपांतरित करके रचित है।
  • किरीटी नमक वृक्ष से यह वीणा बनायीं गयी है।
  • दरबार के समस्त कलावंत इसे बजाने में असमर्थ हैं।
  • अंत में इस 'असाध्य वीणा' को केशकम्बली प्रियवंद ने साध कर दिखाया।

Additional Informationअज्ञेय-

  • जन्म-(1911-1987ई.)
  • 'अज्ञेय' हिन्दी के सबसे चर्चित कवि, कथाकार, निबन्धकार, पत्रकार, सम्पादक, यायावर एवं अध्यापक रहे हैं।
  • इन्हें कविता में नये प्रयोग के लिए जाना जाता है।
  • प्रमुख रचनाएँ-
    • भग्नदूत- 1933ई.
    • चिन्ता --1942ई.
    • इत्यलम्1946ई.
    • हरी घास पर क्षण भर- 1949ई.
    • बावरा अहेरी -1954ई.
    • इन्द्रधनुष रौंदे हुये ये- 1957ई.
    • अरी ओ करुणा प्रभामय -1959ई.
    • आँगन के पार द्वार -1961ई. आदि।

काव्य पंक्तियाँ Question 2:

"वर्तमान समाज चल नहीं सकता। 
पूंजिस ए जुड़ा हुआ हृदय बदल नहीं सकता,
स्वातंत्र्य व्यक्ति का वादी 
छल नहीं सकता मुक्ति के मन को, जन को।"

उपर्युक्त पंक्तियाँ किस कविता में है?

  1. नक्सलबाड़ी 
  2. भूल-गलती 
  3. ब्रह्मराक्षस 
  4. अंधेरे में 

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : अंधेरे में 

काव्य पंक्तियाँ Question 2 Detailed Solution

"वर्तमान समाज चल नहीं सकता। 
पूंजिस ए जुड़ा हुआ हृदय बदल नहीं सकता,
स्वातंत्र्य व्यक्ति का वादी 
छल नहीं सकता मुक्ति के मन को, जन को।"
उपर्युक्त पंक्तियाँ अंधेरे में कविता में है
 Key Pointsअंधेरे में -
  • रचनाकार - मुक्तिबोध
  • प्रकाशन वर्ष - (1957- 1964 ई.के बीच )
  • मुख्य - यह कविता मुक्तिबोध का कविता संग्रह 'चांद का मुँह टेढ़ा' में शामिल है
    • यह संग्रह (1964 ई.)में प्रकाशित हुआ।
    • यह कविता पहले 'आशंका के दीप अंधेरे में' नाम से आई थी।
Important Points
  • अंधेरे में कविता अपनी काल परिस्थितियों का बोध कराती है
  • आजादी के बाद साठ - सत्तर के उस दौर में आम आदमी की आशा, उम्मीद और उद्देश्य जैसे बिखर से गये।
  • आजादी उसे एक झूठी थाली प्रतीत होती है जिसमें वही भ्रष्टाचार, शोषण और मूल्यहीनता परोस दी गई है
  • सत्ता पक्ष द्वारा व्यक्तियों और संस्थानों पर हमले शुरू हो गए
  • मुक्तिबोध स्वयं इसका शिकार हुए जब उनकी पुस्तक ' भारत : इतिहास और संस्कृति' को मध्यप्रदेश सरकार द्वारा प्रतिबंधित कर दिया गया
  • मुक्तिबोध ने इस कविता में 'मैं' और 'वह' के माध्यम से अपने सहित संपूर्ण मध्यवर्ती अभिव्यक्ति को आवाज दी
  • आठ करो में विभाजित संपूर्ण कविता में 'मैं' को 'वह' उद्वेलित करके जगाया रहता है, उसमें साहस भरता है
  • यह कविता फेंटेसी शैली में लिखी गई है
  • हिंदी की लंबी कविताओ में इसका प्रमुख स्थान है
Additional Informationभूल गलती कविता -
  • रचनाकार -  मुक्तिबोध
  • यह 'चांद का मुंह टेढ़ा' (1964 ई.) से लिया गया है
ब्रह्मराक्षस  -
  • रचनाकार - मुक्तिबोध
  • यह कविता चांद का मुंह टेढ़ा (1964 ई.) से लि गयी है
नक्सलबाड़ी कविता -
  • रचनाकार - धूमिल
  • यह कविता काव्य संग्रह 'संसद से सड़क तक' (1972 ई.) से ली गई है

काव्य पंक्तियाँ Question 3:

‘भूल गलती' कविता में कैदी के रूप में दरबार में लाए गए व्यक्ति के बारे में आयी इन पंक्तियों को, पहले से बाद के क्रम में लगाइए ।

A. समूचे जिस्म पर लत्तर

B. नामंजूर / उसको जिंदगी की शर्म की-सी शर्त

C. पहने हथकड़ी वह एक ऊँचा कद

D. बेख़ौफ़ नीली बिजलियों को फेंकता

E. वह क़ैद कर लाया गया ईमान

नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर का चयन कीजिए:

  1. C, A, E, D, B
  2. B, D, C, E, A
  3. D, B, A, E, C
  4. B, A, D, E, C

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : C, A, E, D, B

काव्य पंक्तियाँ Question 3 Detailed Solution

सही उत्तर है- C, A, E, D, B

Key Pointsभूल गलती - 

  • रचनाकार - गजानन माधव मुक्तिबोध 
  • कविता - संग्रह  - चाँद का मुह टेढ़ा है (1964ई.)
  • प्रमुख पंक्ति - 
    • भूल-ग़लती
      आज बैठी है ज़िरहबख़्तर पहनकर तख़्त पर दिल के,
      चमकते हैं खड़े हथियार उसके दूर तक,
      आँखें चिलकती हैं नुकीले तेज़ पत्थर-सी
    • वह क़ैद कर लाया गया ईमान
      सुलतानी निगाहों में निगाहें डालता,
      बेख़ौफ़ नीली बिजलियों को फेंकता
      ​ख़ामोश

Important Pointsगजानन माधव मुक्तिबोध -

  • काव्य - कृतियाँ -
    • चाँद का मुह टेढ़ा है (1964 ई.)
    • भूरि भूरि ख़ाक धूल (1980 ई.)

Additional Informationकविता की पंक्तियाँ हैं-

  • पहने हथकड़ी वह एक ऊँचा क़द
    समूचे जिस्म पर लत्तर
    झलकते लाल लंबे दाग़
    बहते ख़ून के
    वह क़ैद कर लाया गया ईमान...
    सुलतानी निगाहों में निगाहें डालता,
    बेख़ौफ़ नीली बिजलियों को फेंकता
    ख़ामोश!!
    सब ख़ामोश

काव्य पंक्तियाँ Question 4:

अज्ञेय रचित 'यह दीप अकेला' कविता में दीपक किसका प्रतीक है?

  1. व्यष्टि का
  2. समष्टि का
  3. प्रकाश का
  4. उपर्युक्त में से एक से अधिक
  5. उपर्युक्त में से कोई नहीं

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : व्यष्टि का

काव्य पंक्तियाँ Question 4 Detailed Solution

अज्ञेय रचित 'यह दीप अकेला' कविता में दीपक व्यष्टि का प्रतीक है।

  • इस कविता में दीपक के माध्यम से अज्ञेय ने व्यक्ति की परिकल्पना की है 

Key Pointsयह दीप अकेला-

  • रचनाकार-अज्ञेय
  • विधा-कविता
  • विषय-
    • दीपक को मनुष्य के प्रतीक के रूप में लिया है।
    • जिस प्रकार पंक्ति में शामिल हो जाने पर एक जगमगाते दीपक का सौंदर्य और महत्व बढ़ जाता है
    • उसी प्रकार एक व्यक्ति जो अपने आप में स्वतंत्र है,प्रेम व करुणा से भरा हुआ है,उसकी सार्थकता भी समाज के साथ जुड़कर रहने में है।

Important Pointsअज्ञेय-

  • जन्म-1911-1987 ई.
  • काव्य संग्रह-
    • भग्नदूत(1933 ई.),चिंता(1942 ई.),इत्यलम(1946 ई.),हरी घास पर क्षणभर(1949  ई.),बावरा अहेरी(1954 ई.),आँगन के पार द्वार(1961 ई.) आदि 

Additional Informationयह दीप अकेला कविता की पंक्तियाँ-

  • यह दीप अकेला स्नेह भरा
    है गर्व भरा मदमाता पर
    इसको भी पंक्ति को दे दो 

काव्य पंक्तियाँ Question 5:

“उड़ गया गरजता यंत्र – गरुड़

बन बिंदु, शून्य मे पिघल गया

पर साँप ?"

ये पंक्तियाँ ‘अज्ञेय’ की किस कविता से है ? 

  1. पहचान
  2. साँप
  3. हरी घास पर क्ष्ज्ञण भर
  4. उपर्युक्त में से कोई नही
  5. उपर्युक्त में से कोई नहीं

Answer (Detailed Solution Below)

Option 5 : उपर्युक्त में से कोई नहीं

काव्य पंक्तियाँ Question 5 Detailed Solution

सही उत्तर उपर्युक्त में से कोई नही है।
“उड़ गया गरजता यंत्र – गरुड़

बन बिंदु, शून्य मे पिघल गया

पर साँप ?"

ये पंक्तियाँ ‘अज्ञेय’ की हवाई अड्डे पर विदा कविता से है। 

  • प्रकाशन वर्ष- (1958)
  • 'अरी ओ करुणा प्रभामय' काव्य में संकलित कविता है। 
  • हरी घास पर क्षण भर (1949) 

Key Pointsअन्य काव्य संग्रह:-

  • भग्नदूत (1933)
  • चिन्ता (1942) 
  • बावरा अहेरी (1954)
  •  इन्द्रधनुष रौंदे हुये ये (1957)
  • आँगन के पार द्वार (1961)
  • कितनी नावों में कितनी बार (1967)
  • क्योंकि मैं उसे जानता हूँ (1970)
  • सागर मुद्रा (1970)
  • पहले मैं सन्नाटा बुनता हूँ (1974)
  • महावृक्ष के नीचे (1977)
  • नदी की बाँक पर छाया (1981)

Additional Information

पूरा नाम  सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन 'अज्ञेय'
जन्म 7 मार्च, 1911
जन्म भूमि कुशीनगर, उत्तर प्रदेश
मृत्यु 4 अप्रैल, 1987
मृत्यु स्थान नई दिल्ली 
कर्म-क्षेत्र साहित्य, सामाजिक
भाषा हिंदी 
पुरस्कार साहित्य अकादमी (1964),ज्ञानपीठ पुरस्कार (1978)

काव्य पंक्तियाँ Question 6:

'शासन की बंदूक' कविता किस छन्द में है?

  1. बरवै
  2. सोरठा
  3. दोहा
  4. उल्लाला

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : दोहा

काव्य पंक्तियाँ Question 6 Detailed Solution

'शासन की बंदूक' कविता दोहा छन्द में है। 

  • 'शासन की बंदूक' कविता नागार्जुन द्वारा रचित है। 

Key Pointsदोहा छंद-

  • दोहा अर्द्धसम मात्रिक छंद है।
  • यह दो पंक्ति का होता है इसमें चार चरण माने जाते हैं।
  • इसके विषम चरणों प्रथम तथा तृतीय में 13-13 मात्राएँ और सम चरणों द्वितीय तथा चतुर्थ में 11-11 मात्राएँ होती हैं।
  • उदाहरण-
    • मुरली वाले मोहना, मुरली नेक बजाय। तेरी मुरली मन हरे, घर अँगना न सुहाय॥

Important Pointsनागार्जुन-

  • जन्म-1911-1998 ई. 
  • मूल नाम-वैद्यनाथ मिश्र 
  • मैथिली में यात्री उपनाम से लिखते थे। 
  • रचनाएँ-
    • युगधारा(1953 ई.)
    • सतरंगे पंखों वाली(1959 ई.)
    • प्यासी पथराई आँखें(1962 ई.)
    • खिचड़ी विप्लव देखा हमने(1980 ई.)
    • तुमने कहा था(1980 ई.)
    • पुरानी जूतियों का कोरस(1983 ई.) आदि। 

Additional Informationसोरठा छंद-

  • इस छंद में चार चरण होते हैं।
  • पहले और तीसरे चरण में 11-11 मात्राएँ तथा दूसरे और चौथे चरण में 13-13 मात्राएँ होती हैं।
  • चरण के अन्त में यति होती है।
  • पहले और तीसरे चरण के अन्त में 1 लघु वर्ण अवश्य होना चाहिए
  • उदाहरण-
    • नील सरोरुह श्याम, तरुन अरुन वारिज नयन।
      करहु सो मम उर धाम, सदा क्षीर सागर सयन ॥

बरवै छंद-

  • यह मात्रिक अर्द्धसम छन्द है।
  • इस छन्द के विषम चरणों (प्रथम और तृतीय) में 12 और सम चरणों (दूसरे और चौथे) में 7 मात्राएँ होती है।
  • सम चरणों के अन्त में जगण या तगण आने से इस छन्द में मिठास बढ़ती है।
  • यति प्रत्येक चरण के अन्त में होती है।
  • उदाहरण-
    • वाम अंग शिव शोभित, शिवा उदार।

उल्लाला छंद-

  • यह एक मात्रिक छंद होता हैं।
  • इसके प्रत्येक चरण में 15 व 13 के क्रम से 28 मात्राएं होती हैं।
  • इसके पहले और तीसरे चरणों में 15-15 तथा दूसरे और चौथे चरणों में 13-13 मात्राएँ होती हैं।
  • उदाहरण-
    • हे शरणदायिनी देवि तू, करती सबका त्राण है। 
      हे मातृभूमि ! संतान हम, तू जननी, तू प्राण है।।

काव्य पंक्तियाँ Question 7:

"क्योंकि बहना रेत होना है।" किस कविता के संदर्भ में है?

  1. मैं क्यों लिखता हूँ 
  2. अंधेरे में 
  3. मैं नीर भरी 
  4. नदी के द्वीप 

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : नदी के द्वीप 

काव्य पंक्तियाँ Question 7 Detailed Solution

सही उत्तर है- नदी के द्वीप 

Key Pointsपूर्ण पंक्तियाँ हैं-

  • किंतु हम हैं द्वीप।
    हम धारा नहीं हैं।
    स्थिर समर्पण है हमारा। हम सदा से द्वीप हैं स्रोतस्विनी के
    किंतु हम बहते नहीं हैं। क्योंकि बहना रेत होना है

 

 

 

काव्य पंक्तियाँ Question 8:

'एक तनी हुई रस्सी है जिस पर में नाचता हूँ।'

पंक्ति के रचनाकार हैं।

  1. अज्ञेय  
  2. सर्वेश्वरदयाल सक्सेना
  3. त्रिलोचन
  4. उपर्युक्त में से एक से अधिक
  5. उपर्युक्त में से कोई नहीं

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : अज्ञेय  

काव्य पंक्तियाँ Question 8 Detailed Solution

एक तनी हुई रस्सी है जिसके आगे मैं नाचता हूँ पंक्ति के रचनाकार अज्ञेय हैं।

  • कविता शीर्षक :- नाच
  • काव्य संग्रह :- महावृक्ष के नीचे
  • प्रकाशन वर्ष :- 1977
Important Points

अज्ञेय के प्रमुख कविता संग्रह-

  • भग्नदूत (1933), चिन्ता (1942), इत्यलम् (1946), हरी घास पर क्षण भर (1949)
  • आँगन के पार द्वार 1961, कितनी नावों में कितनी बार (1967), पहले मैं सन्नाटा बुनता हूँ (1974)
  • महावृक्ष के नीचे (1977), नदी की बाँक पर छाया (1981)
Additional Information

केदारनाथ अग्रवाल की पुकार कविता की पंक्तियाँ-

  • "आँधी के झूले पर झूलो / आग बबूला बन कर फूलो / कुरबानी करने को झूमो / लाल सवेरे का मूँह चूमो / ऐ इन्सानों ओस न चाटो / अपने हाथों पर्वत काटो"
  • कविता संग्रह :- गुलमेहँदी

त्रिलोचन की कविता की पंक्ति-

  • ताप के ताए हुए दिन ये / क्षण के लघु मान से / मौन नपा किए ।
  • चौंध के अक्षर / पल्लव-पल्लव के उर में / चुपचाप छपा किए।

सर्वश्वर दयाल सक्सेना की कविता की पंक्ति-

  • चूल्हे में लकड़ी की तरह मैं जल रहा हूँ, / मुझे जंगल की याद मत दिलाओ!

काव्य पंक्तियाँ Question 9:

निम्नलिखित काव्य पंक्तियों को उनके साथ सुमेलित कीजिए:

सूची I

सूची II

(a)

श्रेय नहीं कुछ मेरा/मैं तो डूब गया था स्वयं शून्य में वीणा के माध्यम से अपने को मैंने/सब कुछ सौंप दिया था।

(i)

मुक्तिबोध

 

(b)

परम अभिव्यक्ति/लगातर घूमती है जग में/पता नहीं जाने कहाँ ,जाने कहाँ/ वह हैं।

(ii)

दिनकर

 

(c)

पर एक तत्व हैं बीज रूप स्थित मन में साहस में, स्वतंत्रता में,नृतन सर्जन में

(iii)

शमशेर

(d)

मैं उनका आदर्श जो व्यथा न खोल  सकेंगे पूछेगा जग किन्तु पिता का नाम न बोल सकेंगे

(iv)

धर्मवीर भारती

 

 

(v)

अज्ञेय

  1. (a) - (v), (b) - (i), (c) - (iv), (d) - (ii)
  2. (a) -(v), (b) - (iv), (c) - (iii), (d) - (i)
  3. (a) - (i), (b) - (ii), (c) -(iii), (d) - (iv)
  4. उपर्युक्त में से एक से अधिक
  5. उपर्युक्त में से कोई नहीं

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : (a) - (v), (b) - (i), (c) - (iv), (d) - (ii)

काव्य पंक्तियाँ Question 9 Detailed Solution

विकल्प 1 (a) - (v), (b) - (i), (c) - (iv), (d) - (ii) सही है।

Key Points

काव्य पंक्तियाँ

कवि

रचना
श्रेय नहीं कुछ मेरा/मैं तो डूब गया था स्वयं शून्य में वीणा के माध्यम से अपने को मैंने/सब कुछ सौंप दिया था।

अज्ञेय

असाध्य वीणा
परम अभिव्यक्ति/लगातर घूमती है जग में/पता नहीं जाने कहाँ ,जाने कहाँ/ वह हैं।

मुक्तिबोध

अँधेरे में
पर एक तत्व हैं बीज रूप स्थित मन में साहस में, स्वतंत्रता में,नृतन सर्जन में

धर्मवीर भारती

अंधा युग
मैं उनका आदर्श जो व्यथा न खोल  सकेंगे पूछेगा जग किन्तु पिता का नाम न बोल सकेंगे

दिनकर

रश्मिरथी
Additional Information

शमशेर बहादुर सिंह के कविता-संग्रह-

  • कुछ कविताएँ -1959,  कुछ और कविताएँ - 1961, 
  • चुका भी हूँ नहीं मैं - 1975, इतने पास अपने - 1980, 
  • उदिता : अभिव्यक्ति का संघर्ष - 1980, बात बोलेगी - 1981
  • काल तुझसे होड़ है मेरी - 1988, कहीं बहुत दूर से सुन रहा हूँ -1995, सुकून की तलाश में -1998।  
Important Points

अज्ञेय के कविता संग्रह - 

  • भग्नदूत 1933, चिन्ता 1942, इत्यलम् 1946, हरी घास पर क्षण भर 1949, बावरा अहेरी 1954, इन्द्रधनुष रौंदे हुये ये 1957, अरी ओ करुणा प्रभामय 1959
  • आँगन के पार द्वार 1961, कितनी नावों में कितनी बार (1967), क्योंकि मैं उसे जानता हूँ (1970), सागर मुद्रा (1970)
  • पहले मैं सन्नाटा बुनता हूँ (1974), महावृक्ष के नीचे (1977), नदी की बाँक पर छाया (1981), प्रिज़न डेज़ एण्ड अदर पोयम्स (अंग्रेजी में,1946)।

मुक्तिबोध की रचनाएं-

कविता संग्रह-

  • चांद का मुँह टेढ़ा है, भूरी भूरी खाक धूल

कहानी संग्रह-

  • काठ का सपना, विपात्र, सतह से उठता आदमी 

आलोचनात्मक कृतियाँ-

  • कामायनी:एक पुनर्विचार, नयी कविता का आत्मसंघर्ष, नये साहित्य का सौन्दर्यशास्त्र(आखिर रचना क्यों), समीक्षा की समस्याएँ, एक साहित्यिक की डायरी।

धर्मवीर भारती की काव्य रचनाएं-

  • ठंडा लोहा(1952), सात गीत वर्ष(1959), कनुप्रिया(1959) सपना अभी भी(1993), आद्यन्त(1999),देशांतर(1960)।

दिनकर के काव्य-

  • बारदोली-विजय संदेश (1928), प्रणभंग (1929), रेणुका (1935), हुंकार (1938)
  • रसवन्ती (1939), द्वंद्वगीत (1940), कुरूक्षेत्र (1946), धूप-छाँह (1947), सामधेनी (1947), बापू (1947)
  • इतिहास के आँसू (1951), धूप और धुआँ (1951), मिर्च का मज़ा (1951)
  • रश्मिरथी (1952), दिल्ली (1954), नीम के पत्ते (1954), नील कुसुम (1955)
  • सूरज का ब्याह (1955), चक्रवाल (1956), कवि-श्री (1957)

काव्य पंक्तियाँ Question 10:

'पिस गया वह भीतरी

औ ' बाहरी दो कठिन पाटों बीच

ऐसी ट्रेजडी है नीच'

- यह पंक्तियाँ किस कविता की हैं?

  1. ब्रह्मराक्षस
  2. अंधेरे में
  3. भूल गलती
  4. मुझे कदम कदम पर

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : ब्रह्मराक्षस

काव्य पंक्तियाँ Question 10 Detailed Solution

सही उत्तर है- ब्रह्मराक्षस।Key Pointsब्रह्मराक्षस- 

  • रचनाकार- गजानन माधव मुक्तिबोध  
  • प्रकाशनवर्ष- 1957ई० 
  • काव्य संग्रह- चाँद का मुँह टेढ़ा है (1964ई० )
  • विधा- कविता 
  • शैली- 
    • ब्रह्मराक्षस’ कविता ‘फैंटसी’ शिल्प पर आधारित है। फैंटसी शिल्प का प्रयोग मुक्तिबोध की कविताओं की विशेषता रही है।
  • ब्रह्मराक्षस’ का अर्थ- 
    •  मृत्यु के बाद प्रेत-योनी को धारण करने वाला ब्राह्मण।
  • विषय वस्तु- 
    • इस कविता में जो ब्रह्मराक्षस है। वह अपने पूर्व मानव योनी में एक प्रकांड महत्वाकांक्षी विद्वान था। किन्तु उसकी आत्मचेता को यथार्थ महत्व नहीं मिला और प्राणों से उसकी अनबन हो गई।
    • आत्म-चेतना को विश्व चेतना बनाने की अभिलाषा में अपने विराट व्यक्तित्व को लेकर सच्चे गुरु की तलाश में वह दर-दर भटकते रहा, पर उसे योग्य गुरु नहीं मिला। जिससे अतृप्त आत्मा ‘ब्रह्मराक्षस’ बन गया।
  • पंक्ति- 
    • पिस गया वह भीतरी
      औ बाहरी दो कठिन पाटों बीच
       ऐसी ट्रेजडी है नीच

Important Pointsअधेरें में-

  • रचनाकार- गजानन माधव मुक्तिबोध  
  • प्रकाशनवर्ष- 1964 ईo 
  • काव्य संग्रह- चाँद का मुँह टेढ़ा है
  • विधा- कविता 
  • विषय-
    •  स्वतंत्रता से पहले की और स्वतंत्रता के बाद की स्थिति का चित्रण किया है। 
    • "अधेरें में" कविता में अंधेरा सामाजिक व्यवस्था का प्रतीक है। 
    • जब तक यह अव्यवस्था दूर नहीं होगी तब तक व्यक्ति के व्यक्तित्व का शोधन नहीं हो पाएगा।
    • कविता में "वह" और "मैं" के बीच आत्मसाक्षात्कार की प्रक्रिया परस्पर चलती है। 
    • व्यक्ति अपने आप को भूलकर "वह" पाने के लिए भटकता फिर रहा है,
    • और "मैं" अपनी सुविधावृति को छोड़ नहीं पाता है क्योंकि उसे अपनी कमजोरियों से लगाव है। 

Additional Informationगजानन माधव मुक्तिबोध- 

  • जन्म- 1917 - 1964 ईo 
  • आलोचना ग्रंथ- 
    • कामायनी एक पुनर्विचार (1961)
    • एक साहित्यिक की डायरी (1964 )
    • नई कविता का आत्म संघर्ष तथा अन्य निबंध (1964)
    • नए साहित्य का सौंदर्यशास्त्र 1972)
    • समीक्षा की समस्याएं (1982)
  • कविता संग्रह- 
    • चाँद का मुँह टेढ़ा है (1964)
    • भूरी-भूरी खाक धूल (1980)
  • प्रमुख लंबी कविता- 
    • अंधेरे में
    • भूल गलती
    • ब्रह्मराक्षस
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