व्याकरण सीखने-सिखाने 'जागृति' क्या है?

This question was previously asked in
CTET Paper 2 Maths & Science 12th Jan 2022 (English-Hindi-Sanskrit)
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  1. एकाकी रूप से व्याकरण का परिचय देना और शिक्षार्थी को प्रशिक्षण के माध्यम से अभ्यास करने योग्य बनाना एवं किसी उद्देश्‍य के लिए उसका प्रयोग करना।
  2. स्थितिपरक परीक्षण एवं अभ्यास के माध्यम से व्याकरण सीखना।
  3. एकाकी वाक्यों में व्याकरण सीखना और नियमों को रटना।
  4. संदर्भ में व्याकरण का परिचय देना और शिक्षार्थियों को बिंदु पर ध्यान देने योग्य बनाना एवं उसके बाद व्याकरण के नियम की खोज करने के लिए उनका ध्यान आकर्षित करना।

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : संदर्भ में व्याकरण का परिचय देना और शिक्षार्थियों को बिंदु पर ध्यान देने योग्य बनाना एवं उसके बाद व्याकरण के नियम की खोज करने के लिए उनका ध्यान आकर्षित करना।
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व्याकरण- व्याकरण की शिक्षा भाषा शिक्षण का अनिवार्य अंग है। भाषा का शुद्ध रूप पहचानने में छात्रों को सक्षम बनाना व्याकरण का मुख्य उद्देश्य है। व्याकरण की जानकारी के बिना भाषा शुद्ध नहीं हो सकती। इसी करण व्याकरण का ज्ञान प्राप्त करना अनिवार्य है।

 व्याकरण सीखने-सिखाने के अंतर्गत-  

  • छात्रों को भाषा के नियमों को विधिवत अवगत कराना। 
  • शब्दों के शुद्ध रूप उनकी वर्तनी, रचना, नियम, विरामचिन्ह, का उपयोग कराना।
  • ध्वनि, ध्वनि समूह, उनके अंतर, शब्द योजना में उनके स्थान का ज्ञान कराना। 
  • छात्रों में छंद, रस, अलंकारो का ज्ञान करवाना।
  • उनमें शब्द, सूक्ति, मुहावरे तथा लोकोक्तियों का ज्ञान करवाना।
  • व्याकरण सीखने-सिखाने के अंतर्गत संदर्भ में व्याकरण का परिचय देना और शिक्षार्थियों को बिंदु पर ध्यान देने योग्य बनाना एवं उसके बाद व्याकरण के नियम की खोज करने के लिए उनका ध्यान आकर्षित करना अर्थात यह व्याकरण सीखने-सिखाने 'जागृति' है।

​अतः यह निष्कर्ष निकलता है कि ​व्याकरण सीखने-सिखाने 'जागृति' संदर्भ में व्याकरण का परिचय देना और शिक्षार्थियों को बिंदु पर ध्यान देने योग्य बनाना एवं उसके बाद व्याकरण के नियम की खोज करने के लिए उनका ध्यान आकर्षित करना है।

Additional Information संदर्भ में व्याकरण-

  • शिक्षण कार्य के दौरान पाठ में आने वाले शब्दों से सम्बन्धित व्याकरणिक नियमों का उल्लेख शिक्षक द्वारा ‘संदर्भ में व्याकरण’ सिखाने के अभ्यास को दर्शाता है।
  • शिक्षक द्वारा इस विधि का प्रयोग इसलिए किया जाता है क्योंकि संदर्भ में व्याकरण सिखाने पर बच्चों के लिए व्याकरणिक नियमों को ग्रहण करना सरल हो जाता है।
  • वे व्याकरण को पाठ के संदर्भ में आसानी से समझते हैं जिससे उन्हें उन नियमों को बिना समझे कंठस्थ करने की जरूरत नहीं होती।
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