गद्यांश MCQ Quiz in मराठी - Objective Question with Answer for गद्यांश - मोफत PDF डाउनलोड करा

Last updated on Apr 17, 2025

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Latest गद्यांश MCQ Objective Questions

Top गद्यांश MCQ Objective Questions

गद्यांश Question 1:

Comprehension:

अनुच्छेद पढ़कर दिए गए सवालों के सही जवाब चुनिए :
बातचीत करते समय हमें शब्दों के चयन पर विशेष ध्यान देना चाहिए क्योंकि सम्मानजनक शब्द उदात्त और महान बनाते हैं। बातचीत को सुगम एवं प्रभावशाली बनाने के लिए सदैव प्रचलित भाषा का ही प्रयोग करना चाहिए। अत्यंत साहित्यिक एवं क्लिष्ट भाषा के प्रयोग से कहीं ऐसा न हो कि हमारा व्यक्तित्व चोट खा जाए। बातचीत में केवल विचारों का ही आदान- प्रदान नहीं होता बल्कि व्यक्तित्व का भी आदान-प्रदान होता है। अत: शिक्षक वर्ग को शब्दों का चयन सोच-समझकर करना चाहिए। शिक्षक वास्तव में एक अच्छा अभिनेता भी होता है जो अपने व्यक्तित्व, शैली, बोलचाल और हावभाव से विद्यार्थियों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करता है और उन पर अपनी छाप छोड़ता है।

बातचीत में किसका आदान प्रदान होता है?

  1. विचारों एवं व्यक्तित्व का 
  2. भाषा का
  3. विचारों का
  4. व्यक्तित्व का

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : विचारों एवं व्यक्तित्व का 

गद्यांश Question 1 Detailed Solution

बातचीत में विचारों एवं व्यक्तित्व का आदान प्रदान होता है

Key Points

  • अनुच्छेद के अनुसार -
    • ​बातचीत में केवल विचारों का ही आदान- प्रदान नहीं होता
    • बल्कि व्यक्तित्व का भी आदान-प्रदान होता है।
    • अत: शिक्षक वर्ग को शब्दों का चयन सोच-समझकर करना चाहिए।
    • शिक्षक वास्तव में एक अच्छा अभिनेता भी होता है 

Additional Information 
 
अन्य विकल्प -

  • भाषा - अनुच्छेद में भाषा के बजाय बातचीत में विचारों और व्यक्तित्व के आदान-प्रदान पर जोर दिया गया है।
    • इसलिए, "भाषा" शीर्षक पूरी तरह से गद्यांश के मुख्य विचार को नहीं दर्शाता।
  • विचार -  "विचार" शीर्षक से अनुच्छेद का आधा ही मर्म सामने आता है,
    • क्योंकि इसे व्यक्तित्व के आदान-प्रदान को अनदेखा करता है।
  • व्यक्तित्व - यह अनुच्छेद के उस हिस्से को संबोधित करता है जहाँ एक शिक्षक के लिए अच्छा व्यक्ति और अभिनेता होने की आवश्यकता बताई गई है।
    • लेकिन यह शीर्षक भी संपूर्ण गद्यांश के विचार को नहीं दर्शाता क्योंकि इसमें विचारों के आदान-प्रदान का पहलू गायब है।

गद्यांश Question 2:

Comprehension:

अनुच्छेद पढ़कर दिए गए सवालों के सही जवाब चुनिए :
बातचीत करते समय हमें शब्दों के चयन पर विशेष ध्यान देना चाहिए क्योंकि सम्मानजनक शब्द उदात्त और महान बनाते हैं। बातचीत को सुगम एवं प्रभावशाली बनाने के लिए सदैव प्रचलित भाषा का ही प्रयोग करना चाहिए। अत्यंत साहित्यिक एवं क्लिष्ट भाषा के प्रयोग से कहीं ऐसा न हो कि हमारा व्यक्तित्व चोट खा जाए। बातचीत में केवल विचारों का ही आदान- प्रदान नहीं होता बल्कि व्यक्तित्व का भी आदान-प्रदान होता है। अत: शिक्षक वर्ग को शब्दों का चयन सोच-समझकर करना चाहिए। शिक्षक वास्तव में एक अच्छा अभिनेता भी होता है जो अपने व्यक्तित्व, शैली, बोलचाल और हावभाव से विद्यार्थियों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करता है और उन पर अपनी छाप छोड़ता है।

उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक क्या होना चाहिए?

  1. साहित्यिक भाषा
  2. बातचीत की कला
  3. शब्दों का चयन 
  4. व्यक्तित्व का प्रभाव

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : बातचीत की कला

गद्यांश Question 2 Detailed Solution

उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक होना चाहिए- बातचीत की कला

Key Points

  • अनुच्छेद के अनुसार -
    • बातचीत में केवल विचारों का ही आदान- प्रदान नहीं होता
    • बल्कि व्यक्तित्व का भी आदान-प्रदान होता है।
    • अत: शिक्षक वर्ग को शब्दों का चयन सोच-समझकर करना चाहिए।
    • शिक्षक वास्तव में एक अच्छा अभिनेता भी होता है 

Additional Information अन्य विकल्प -

  • साहित्यिक भाषा -
    • अनुच्छेद में, शिक्षक की बातचीत में शब्दों के चयन और व्यक्तित्व के प्रभाव पर चर्चा की जा रही है,
    • न कि विशेष रूप से साहित्यिक भाषा की बारीकियों पर। इसलिए, यह शीर्षक अनुच्छेद के संदर्भ में उतना उपयुक्त नहीं है।
  • शब्दों का चयन -
    •  यह विकल्प भी गद्यांश के एक पहलु को दर्शाता है, अर्थात बातचीत में शब्दों के चयन की महत्ता।
    • हालांकि, गद्यांश का मुख्य उद्देश्य केवल शब्दों के चयन पर ध्यान केंद्रित करने से अधिक व्यापक है।
  • व्यक्तित्व का प्रभाव -
    •  यह विकल्प बातचीत में व्यक्तित्व के प्रभाव को उजागर करता है, जो कि एक महत्वपूर्ण पहलु है।
    • तथापि, गद्यांश के केंद्र में केवल व्यक्तित्व का प्रभाव ही नहीं बल्कि शब्दों का चयन और बातचीत की कला भी है। 

गद्यांश Question 3:

Comprehension:

अनुच्छेद पढ़कर दिए गए सवालों के सही जवाब चुनिए :
बातचीत करते समय हमें शब्दों के चयन पर विशेष ध्यान देना चाहिए क्योंकि सम्मानजनक शब्द उदात्त और महान बनाते हैं। बातचीत को सुगम एवं प्रभावशाली बनाने के लिए सदैव प्रचलित भाषा का ही प्रयोग करना चाहिए। अत्यंत साहित्यिक एवं क्लिष्ट भाषा के प्रयोग से कहीं ऐसा न हो कि हमारा व्यक्तित्व चोट खा जाए। बातचीत में केवल विचारों का ही आदान- प्रदान नहीं होता बल्कि व्यक्तित्व का भी आदान-प्रदान होता है। अत: शिक्षक वर्ग को शब्दों का चयन सोच-समझकर करना चाहिए। शिक्षक वास्तव में एक अच्छा अभिनेता भी होता है जो अपने व्यक्तित्व, शैली, बोलचाल और हावभाव से विद्यार्थियों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करता है और उन पर अपनी छाप छोड़ता है।

शिक्षक वर्ग को कैसे बोलना चाहिए? 

  1. बिना सोचे-समझे
  2. तुरंत
  3. ज्यादा
  4. सोच-समझकर

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : सोच-समझकर

गद्यांश Question 3 Detailed Solution

शिक्षक वर्ग को सोच-समझकर बोलना चाहिए? 

Key Points

  • अनुच्छेद के अनुसार -
    • बातचीत में केवल विचारों का ही आदान- प्रदान नहीं होता
    • बल्कि व्यक्तित्व का भी आदान-प्रदान होता है।
    • अत: शिक्षक वर्ग को शब्दों का चयन सोच-समझकर करना चाहिए।
    • शिक्षक वास्तव में एक अच्छा अभिनेता भी होता है 

Additional Informationअन्य विकल्प -

  • बिना सोचे-समझे:
    • बिना सोचे-समझे बोलने से शिक्षक का प्रभाव कम हो सकता है।
    • उनके शब्द गलतफहमी पैदा कर सकते हैं और वे अपनी बातें सही तरीके से नहीं समझा सकते। इससे शिक्षण का उद्देश्य पूर्ण नहीं हो सकता।
  • तुरंत:
    • तुरंत बोलने का मतलब यह है कि शिक्षक बिना किसी तैयारी या विचार के तुरंत प्रतिक्रिया दें।
    • यह भी अनुचित है क्योंकि शिक्षक को महत्वपूर्ण निर्देशन और शिक्षण सामग्री के लिए विचार और तैयारी की आवश्यकता होती है।
  • ज्यादा:
    • ज्यादा बोलने से भी बात का महत्व कम हो सकता है।
    • शिक्षक को अपनी बात को साधारण और सटीक रूप से प्रस्तुत करना चाहिए, ज्यादा और अनावश्यक बातें नहीं करनी चाहिए।

गद्यांश Question 4:

Comprehension:

अनुच्छेद पढ़कर दिए गए सवालों के सही जवाब चुनिए :-

'देहदान' शब्द सुनते या पढ़ते ही सबसे पहला विचार जो दिमाग में आता है, वह है- मृत्यु अवश्यम्भावी है। आज नहीं तो कल कोई पहले तो कोई बाद में मृत्यु को प्राप्त करता है । मृत्यु के नाम से ही मन में भय का संचार होने लगता है। मानव शरीर-धारी भगवान राम और कृष्ण को भी समय आने पर यह शरीर त्यागना पड़ा था। जो जन्म के साथ ही निर्धारित है, उससे भय कैसा? इससे बचने का कोई उपाय नहीं है, चाहे कोई कितना ही बलवान, धनवान या तपस्वी हो, इससे बच नहीं पाया। सारे संसार के पुराण- इतिहास इस बात के गवाह हैं। प्राचीन या वर्तमान विज्ञान कितना ही उन्नत हो गया हो, लेकिन मृत्यु पर विजय हासिल करना एक सपना ही है। फिर इस क्षणभंगुर और अंत में राख के ढेर में बदलने वाले शरीर या उसके अंगों को किसी जरूरतमंद के लिए समर्पित कर देने में क्या हर्ज है? और फिर इसे पाने के लिए आपने स्वयं कोई प्रयास नहीं किया है या धन भी खर्च नहीं किया है।

'क्षणभंगुर' शब्द का अर्थ क्या है? 

  1. क्षण में भंग होने वाली 
  2. सदा अमर रहने वाली 
  3. समाप्त होने वाली 
  4. कभी समाप्त न होने वाली 

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : क्षण में भंग होने वाली 

गद्यांश Question 4 Detailed Solution

'क्षणभंगुर' शब्द का अर्थ है- क्षण में भंग होने वाली

Key Points

  • 'क्षणभंगुर' शब्द का अर्थ है- क्षण में भंग होने वाली
  • वाक्यांश के लिए उपयुक्त शब्द - अनेक शब्दों के लिए एक शब्द को प्रयुक्त करना ही वाक्यांश के लिए एक शब्द कहलाता है।

अन्य विकल्प -

  • शाश्वत - सदा अमर रहने वाली 
  • अनंत या अविनाशी - कभी समाप्त न होने वाली

Additional Informationकुछ महत्वपूर्ण वाक्यांश के लिए एक शब्द -

वाक्यांश  शब्द
जिसकी परीक्षा ली जा चुकी हो ​परिक्षित
जिसका प्रयोजन सिद्ध हो चुका हो ​कृतकार्य 
किये हुए उपकार को मानने वाला  कृतज्ञ
जिसे मोक्ष प्राप्त करने की इच्छा हो। मुमुक्षु 
 जिसे कठिनाई से जाना जा सके ​दुर्ज्ञेय
जैसा आरंभ किया गया हो यथारंभ
जो इंद्रियों से प्राप्त नही किया जा सके ​अगोचर

गद्यांश Question 5:

Comprehension:

अनुच्छेद पढ़कर दिए गए सवालों के सही जवाब चुनिए :-

'देहदान' शब्द सुनते या पढ़ते ही सबसे पहला विचार जो दिमाग में आता है, वह है- मृत्यु अवश्यम्भावी है। आज नहीं तो कल कोई पहले तो कोई बाद में मृत्यु को प्राप्त करता है । मृत्यु के नाम से ही मन में भय का संचार होने लगता है। मानव शरीर-धारी भगवान राम और कृष्ण को भी समय आने पर यह शरीर त्यागना पड़ा था। जो जन्म के साथ ही निर्धारित है, उससे भय कैसा? इससे बचने का कोई उपाय नहीं है, चाहे कोई कितना ही बलवान, धनवान या तपस्वी हो, इससे बच नहीं पाया। सारे संसार के पुराण- इतिहास इस बात के गवाह हैं। प्राचीन या वर्तमान विज्ञान कितना ही उन्नत हो गया हो, लेकिन मृत्यु पर विजय हासिल करना एक सपना ही है। फिर इस क्षणभंगुर और अंत में राख के ढेर में बदलने वाले शरीर या उसके अंगों को किसी जरूरतमंद के लिए समर्पित कर देने में क्या हर्ज है? और फिर इसे पाने के लिए आपने स्वयं कोई प्रयास नहीं किया है या धन भी खर्च नहीं किया है।

पुराण और इतिहास किस बात के गवाह हैं? 

  1. मृत्यु पर विजय प्राप्त की जा सकती है 
  2. मृत्यु से कोई बच नहीं पाया 
  3. मृत्यु किसी के वश में नहीं 
  4. मृत्यु को कुछ समय तक टाला जा सकता है

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : मृत्यु से कोई बच नहीं पाया 

गद्यांश Question 5 Detailed Solution

पुराण और इतिहास बात के गवाह हैं- मृत्यु से कोई बच नहीं पाया

Key Points

  • अनुच्छेद के अनुसार -
    • इससे बचने का कोई उपाय नहीं है, चाहे कोई कितना ही बलवान, धनवान या तपस्वी हो,
    • इससे बच नहीं पाया। सारे संसार के पुराण- इतिहास इस बात के गवाह हैं।
    • प्राचीन या वर्तमान विज्ञान कितना ही उन्नत हो गया हो,
    • लेकिन मृत्यु पर विजय हासिल करना एक सपना ही है।

Additional Information अन्य विकल्प -

  • मृत्यु पर विजय प्राप्त की जा सकती है 
    • ​यह विकल्प अनुच्छेद के विपरीत है। अनुच्छेद कहता है कि मृत्यु से कोई बच नहीं पाया, जबकि इस विकल्प में कहा गया है कि मृत्यु पर विजय प्राप्त की जा सकती है।
  • मृत्यु किसी के वश में नहीं 
    • यह विकल्प अनुच्छेद के मुख्य विचार से मेल खाता है। मृत्यु अवश्यम्भावी है और किसी के नियंत्रण में नहीं है, इसलिए यह विकल्प सही हो सकता है।
  • मृत्यु को कुछ समय तक टाला जा सकता है
    • यह विकल्प आंशिक रूप से अनुच्छेद से संबंधित हो सकता है, लेकिन इसमें यह स्पष्ट नहीं है कि मृत्यु से पूर्णतः बचा जा सकता है। अनुच्छेद का मुख्य विचार यह है कि मृत्यु निश्चित है, इसे टालना संभव नहीं है।

गद्यांश Question 6:

Comprehension:

अनुच्छेद पढ़कर दिए गए सवालों के सही जवाब चुनिए :-

'देहदान' शब्द सुनते या पढ़ते ही सबसे पहला विचार जो दिमाग में आता है, वह है- मृत्यु अवश्यम्भावी है। आज नहीं तो कल कोई पहले तो कोई बाद में मृत्यु को प्राप्त करता है । मृत्यु के नाम से ही मन में भय का संचार होने लगता है। मानव शरीर-धारी भगवान राम और कृष्ण को भी समय आने पर यह शरीर त्यागना पड़ा था। जो जन्म के साथ ही निर्धारित है, उससे भय कैसा? इससे बचने का कोई उपाय नहीं है, चाहे कोई कितना ही बलवान, धनवान या तपस्वी हो, इससे बच नहीं पाया। सारे संसार के पुराण- इतिहास इस बात के गवाह हैं। प्राचीन या वर्तमान विज्ञान कितना ही उन्नत हो गया हो, लेकिन मृत्यु पर विजय हासिल करना एक सपना ही है। फिर इस क्षणभंगुर और अंत में राख के ढेर में बदलने वाले शरीर या उसके अंगों को किसी जरूरतमंद के लिए समर्पित कर देने में क्या हर्ज है? और फिर इसे पाने के लिए आपने स्वयं कोई प्रयास नहीं किया है या धन भी खर्च नहीं किया है।

देहदान' सुनते ही सबसे बड़ा विचार कौन-सा आता है? 

  1. मृत्यु सत्य है। 
  2. मृत्यु अवश्यम्भावी है। 
  3. जीवन सुरक्षित नहीं है। 
  4. मृत्यु नहीं होगी। 

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : मृत्यु अवश्यम्भावी है। 

गद्यांश Question 6 Detailed Solution

देहदान' सुनते ही सबसे बड़ा विचार आता है- मृत्यु अवश्यम्भावी है। 

Key Points

  • अनुच्छेद के अनुसार -
    • 'देहदान' शब्द सुनते या पढ़ते ही सबसे पहला विचार जो दिमाग में आता है, वह है- मृत्यु अवश्यम्भावी है।
    • आज नहीं तो कल कोई पहले तो कोई बाद में मृत्यु को प्राप्त करता है। 

Additional Information अन्य विकल्प -

  • मृत्यु सत्य है। 
    • यह विकल्प 'मृत्यु अवश्यम्भावी है' के समान है। दोनों का आशय यही है कि मृत्यु एक निश्चित और सत्य घटना है जिसे टाला नहीं जा सकता।
  • जीवन सुरक्षित नहीं है।
    • यह विकल्प उस विचार से थोड़ा अलग है। यह जीवन की अनिश्चितता और संभावित खतरों की ओर इशारा करता है लेकिन सीधे तौर पर मृत्यु की अवश्यम्भाविता पर जोर नहीं देता। 
  • मृत्यु नहीं होगी। 
    • यह विकल्प सही नहीं है क्योंकि यह पूरी तरह विपरीत विचार प्रस्तुत करता है। यह अनुच्छेद में व्यक्त किए गए विचार के विपरीत है कि मृत्यु हर किसी के जीवन का एक अवश्यम्भावी हिस्सा है।

गद्यांश Question 7:

Comprehension:

अनुच्छेद पढ़कर दिए गए सवालों के सही जवाब चुनिए :-

मनुष्य की 70-80 प्रतिशत लंबाई जीन्स द्वारा निर्धारित होती है। बाकी 20-30 प्रतिशत के लिए अनेक कारक उत्तरदाई होते हैं। पहला पोषण, जिसमें आहार में प्रोटीन की कुल मात्रा, खनिज खासकर विटामिन प्रमुख योगदान देते हैं। दूसरे हॉर्मोन, जिनमें मानव वृद्धि हॉर्मोन (ग्रोथ हॉर्मोन), यौन हॉर्मोन, एंड्रोजन व ईस्ट्रोजन तथा थायरॉइड हॉर्मोन प्रमुख हैं। इनमें मानव वृद्धि हॉर्मोन का सबसे बड़ा योगदान रहता है। किसी व्यक्ति के शरीर में मानव वृद्धि हॉर्मोन किस मात्रा में बनता है, इस प्रक्रिया को भी बहुत से कारक प्रभावित करते हैं। व्यक्ति कितनी शारीरिक कसरत करता है, उसे रात में पूरी नींद मिल पाती है या नहीं; ये दो कारक मानव वृद्धि हॉर्मोन के नैसर्गिक उत्पादन में मुख्य भूमिका निभाते हैं। स्वास्थ्य का भी लंबे होने की क्षमता पर प्रभाव पड़ता है, जो बच्चे बार-बार बीमार पड़ते हैं या जिन्हें कोई दीर्घकालिक रोग हो जाता है, उनकी लंबाई अपेक्षानुसार नहीं बढ़ पाती।

लंबाई निर्धारित करने में किस हॉर्मोन का सबसे बड़ा योगदान रहता है? 

  1. ईस्ट्रोजन 
  2. यौन हॉर्मोन 
  3. थायरॉइड हॉर्मोन 
  4. मानव-वृद्धि हॉर्मोन 

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : मानव-वृद्धि हॉर्मोन 

गद्यांश Question 7 Detailed Solution

लंबाई निर्धारित करने में मानव-वृद्धि हॉर्मोन का सबसे बड़ा योगदान रहता है

Key Points

  • अनुच्छेद के अनुसार -
    • किसी व्यक्ति के शरीर में मानव वृद्धि हॉर्मोन किस मात्रा में बनता है,
    • इस प्रक्रिया को भी बहुत से कारक प्रभावित करते हैं। व्यक्ति कितनी शारीरिक कसरत करता है,
    • उसे रात में पूरी नींद मिल पाती है या नहीं;
    • ये दो कारक मानव वृद्धि हॉर्मोन के नैसर्गिक उत्पादन में मुख्य भूमिका निभाते हैं। 

Additional Information 
 
अन्य विकल्प -

  • ईस्ट्रोजन -
    • ईस्ट्रोजन एक प्रमुख यौन हॉर्मोन है जो महिलाओं में सेकंडरी यौन विशेषताओं के विकास और प्रजनन प्रणाली के कार्य को प्रभावित करता है।
    • वृद्धि की प्रक्रिया में इसका योगदान मुख्यतः किशोरावस्था के दौरान होता है, जब वृद्धि की गति बढ़ जाती है।
    • हालांकि, इसका समग्र प्रभाव मानव वृद्धि हॉर्मोन जितना प्रत्यक्ष और व्यापक नहीं होता है।
  • यौन हॉर्मोन -
    • ये हॉर्मोन पुरुषों (टेस्टोस्टेरोन) और महिलाओं (ईस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन) में प्रजनन से संबंधित कार्यों को नियंत्रित करते हैं।
    • ये हॉर्मोन वृद्धि की प्रक्रिया में योगदान करते हैं, विशेषकर किशोरावस्था में जहाँ वे तीव्र वृद्धि और यौन विकास को प्रभावित करते हैं।
    • हालांकि, उनके प्रभाव भी HGH के मुकाबले सीमित और स्पेसिफिक होते हैं।
  • थायरॉइड हॉर्मोन -
    • थायरॉइड हॉर्मोन (जैसे कि T3 और T4) चयापचय को नियंत्रित करते हैं और सामान्य विकास और मस्तिष्क विकास के लिए अत्यंत आवश्यक हैं।
    • वे भी वृद्धि की दर को प्रभावित करते हैं, लेकिन HGH जितना सीधे तौर पर नहीं। उनका प्रभाव व्यापक रूप से शारीरिक और मानसिक विकास पर होता है।

गद्यांश Question 8:

Comprehension:

अनुच्छेद पढ़कर दिए गए सवालों के सही जवाब चुनिए :-

मनुष्य की 70-80 प्रतिशत लंबाई जीन्स द्वारा निर्धारित होती है। बाकी 20-30 प्रतिशत के लिए अनेक कारक उत्तरदाई होते हैं। पहला पोषण, जिसमें आहार में प्रोटीन की कुल मात्रा, खनिज खासकर विटामिन प्रमुख योगदान देते हैं। दूसरे हॉर्मोन, जिनमें मानव वृद्धि हॉर्मोन (ग्रोथ हॉर्मोन), यौन हॉर्मोन, एंड्रोजन व ईस्ट्रोजन तथा थायरॉइड हॉर्मोन प्रमुख हैं। इनमें मानव वृद्धि हॉर्मोन का सबसे बड़ा योगदान रहता है। किसी व्यक्ति के शरीर में मानव वृद्धि हॉर्मोन किस मात्रा में बनता है, इस प्रक्रिया को भी बहुत से कारक प्रभावित करते हैं। व्यक्ति कितनी शारीरिक कसरत करता है, उसे रात में पूरी नींद मिल पाती है या नहीं; ये दो कारक मानव वृद्धि हॉर्मोन के नैसर्गिक उत्पादन में मुख्य भूमिका निभाते हैं। स्वास्थ्य का भी लंबे होने की क्षमता पर प्रभाव पड़ता है, जो बच्चे बार-बार बीमार पड़ते हैं या जिन्हें कोई दीर्घकालिक रोग हो जाता है, उनकी लंबाई अपेक्षानुसार नहीं बढ़ पाती।

मानव-वृद्धि हॉर्मोन के नैसर्गिक उत्पादन में कौन-से कारक मुख्य भूमिका निभाते हैं? 

  1. खनिज 
  2. पोषण 
  3. व्यक्ति कितनी शारीरिक कसरत करता है, उसे रात में पूरी नींद मिल पाती है या नहीं; 
  4. आहार में प्रोटीन की मात्रा 

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : व्यक्ति कितनी शारीरिक कसरत करता है, उसे रात में पूरी नींद मिल पाती है या नहीं; 

गद्यांश Question 8 Detailed Solution

मानव-वृद्धि हॉर्मोन के नैसर्गिक उत्पादन में कारक मुख्य भूमिका निभाते हैं- व्यक्ति कितनी शारीरिक कसरत करता है, उसे रात में पूरी नींद मिल पाती है या नहीं; 

Key Points

  • अनुच्छेद के अनुसार -
    • इस प्रक्रिया को भी बहुत से कारक प्रभावित करते हैं।
    • व्यक्ति कितनी शारीरिक कसरत करता है, उसे रात में पूरी नींद मिल पाती है या नहीं;
    • ये दो कारक मानव वृद्धि हॉर्मोन के नैसर्गिक उत्पादन में मुख्य भूमिका निभाते हैं।
    • स्वास्थ्य का भी लंबे होने की क्षमता पर प्रभाव पड़ता है, जो बच्चे बार-बार बीमार पड़ते हैं 

Additional Information अन्य विकल्प -

  • खनिज 
    • खनिज भी मानव शरीर के विकास और वृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं,
    • लेकिन वे मुख्यतः पोषण से संबंधित हैं, जैसे कि कैल्शियम और फॉस्फोरस हड्डियों की मजबूत बनाने में मदद करते हैं।
  • पोषण -
    • पोषण सीधे तौर पर मानव वृद्धि पर प्रभाव डालता है।
    • शरीर को आवश्यक पोषक तत्व और विटामिन प्राप्त होने से वृद्धि अधिक सुचारू रूप से होती है।​
  • आहार में प्रोटीन की मात्रा -
    • प्रोटीन शरीर के ऊतकों और मांसपेशियों की निर्माण और मरम्मत के लिए आवश्यक होता है।
    • प्रोटीन की सही मात्रा मिलने से बच्चे की विकास दर पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

गद्यांश Question 9:

Comprehension:

अनुच्छेद पढ़कर दिए गए सवालों के सही जवाब चुनिए :-

मनुष्य की 70-80 प्रतिशत लंबाई जीन्स द्वारा निर्धारित होती है। बाकी 20-30 प्रतिशत के लिए अनेक कारक उत्तरदाई होते हैं। पहला पोषण, जिसमें आहार में प्रोटीन की कुल मात्रा, खनिज खासकर विटामिन प्रमुख योगदान देते हैं। दूसरे हॉर्मोन, जिनमें मानव वृद्धि हॉर्मोन (ग्रोथ हॉर्मोन), यौन हॉर्मोन, एंड्रोजन व ईस्ट्रोजन तथा थायरॉइड हॉर्मोन प्रमुख हैं। इनमें मानव वृद्धि हॉर्मोन का सबसे बड़ा योगदान रहता है। किसी व्यक्ति के शरीर में मानव वृद्धि हॉर्मोन किस मात्रा में बनता है, इस प्रक्रिया को भी बहुत से कारक प्रभावित करते हैं। व्यक्ति कितनी शारीरिक कसरत करता है, उसे रात में पूरी नींद मिल पाती है या नहीं; ये दो कारक मानव वृद्धि हॉर्मोन के नैसर्गिक उत्पादन में मुख्य भूमिका निभाते हैं। स्वास्थ्य का भी लंबे होने की क्षमता पर प्रभाव पड़ता है, जो बच्चे बार-बार बीमार पड़ते हैं या जिन्हें कोई दीर्घकालिक रोग हो जाता है, उनकी लंबाई अपेक्षानुसार नहीं बढ़ पाती।

मनुष्य की कितनी प्रतिशत लंबाई जीन्स द्वारा निर्धारित होती है? 

  1. 50
  2. 70-80
  3. 100
  4. 20-30

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : 70-80

गद्यांश Question 9 Detailed Solution

मनुष्य की 70-80 प्रतिशत लंबाई जीन्स द्वारा निर्धारित होती है।

Key Points

  • अनुच्छेद के अनुसार -
    • मनुष्य की 70-80 प्रतिशत लंबाई जीन्स द्वारा निर्धारित होती है।
    • बाकी 20-30 प्रतिशत के लिए अनेक कारक उत्तरदाई होते हैं।
    • पहला पोषण, जिसमें आहार में प्रोटीन की कुल मात्रा, खनिज खासकर विटामिन प्रमुख योगदान देते हैं।

गद्यांश Question 10:

Comprehension:

अनुच्छेद पढ़कर दिए गए सवालों के सही जवाब चुनिए :-

अहिंसात्मक अभ्यास का मार्ग ही अलग है। फौज में प्रतिदिन कवायद, कसरत, क्रूरतापूर्ण शिकार इत्यादि कराए जाते हैं। अहिंसात्मक अभ्यास इससे बिल्कुल भिन्न है। उसका साधन, यदि एक शब्द में कहना चाहें, तो बस, संयम है। यहाँ संयम व्यापक अर्थ में उन तमाम नियमों के लिए व्यक्त किया गया है, जिनका जिक्र हिंदुओं के तथा दूसरे धर्मों के धर्मग्रंथों में पाया जाता है। यह साधारण सदाचार के नियम सख्ती से पालन करके सीखे जाते हैं। इन सब नियमों का झुकाव अहिंसा और सत्य की ओर ही होता है। गांधी जी ने बार-बार लिखा है कि ईश्वर पर विश्वास इसका एक बहुत बड़ा सहायक होता है। यदि इस अहिंसात्मक प्रवृत्ति को जागृत और पुष्ट करने में समय लगाया जाए, बचपन से ही अभ्यास कराया जाए और इस पर पूरा ध्यान दिया जाए तो निर्भयता इत्यादि जो इसके मुख्य बाह्य रूप देखने में आते हैं, अवश्य ही प्राप्त किए जा सकते हैं। यह कहना कि यह मनुष्य के लिए संभव नहीं, बे-बुनियाद बात है। 

निर्भयता आदि गुणों को सीखने के लिए आवश्यक है - 

  1. युवावस्था में सत्य का आचरण 
  2. बचपन से ही अहिंसात्मक प्रवृत्ति का अभ्यास 
  3. प्रत्येक अवस्था में निडर रहना 
  4. बचपन में सैनिक शिक्षा का अभ्यास 

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : बचपन से ही अहिंसात्मक प्रवृत्ति का अभ्यास 

गद्यांश Question 10 Detailed Solution

निर्भयता आदि गुणों को सीखने के लिए आवश्यक है - बचपन से ही अहिंसात्मक प्रवृत्ति का अभ्यास 

Key Points

  • गद्यांश के अनुसार -
    • गांधी जी ने बार-बार लिखा है कि ईश्वर पर विश्वास इसका एक बहुत बड़ा सहायक होता है।
    • यदि इस अहिंसात्मक प्रवृत्ति को जागृत और पुष्ट करने में समय लगाया जाए,
    • बचपन से ही अभ्यास कराया जाए और इस पर पूरा ध्यान दिया जाए तो निर्भयता इत्यादि जो इसके मुख्य बाह्य रूप देखने में आते हैं,
    • अवश्य ही प्राप्त किए जा सकते हैं। यह कहना कि यह मनुष्य के लिए संभव नहीं, बे-बुनियाद बात है।  

Additional Information 
 
अन्य विकल्प -

  • युवावस्था में सत्य का आचरण: यह विकल्प सही नहीं है क्योंकि गद्यांश में युवावस्था में सत्य का आचरण विशेष रूप से नहीं बताया गया है।
  • प्रत्येक अवस्था में निडर रहना: यह विकल्प भी सही नहीं है क्योंकि गद्यांश में मुख्यतः बचपन से अभ्यास करने पर जोर दिया गया है।
  • बचपन में सैनिक शिक्षा का अभ्यास: यह विकल्प सही नहीं है क्योंकि इसमें बचपन से अहिंसात्मक प्रवृत्ति का अभ्यास करने की बात की गई है, न कि सैनिक शिक्षा का।
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