गद्यांश MCQ Quiz in हिन्दी - Objective Question with Answer for गद्यांश - मुफ्त [PDF] डाउनलोड करें

Last updated on Apr 17, 2025

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Latest गद्यांश MCQ Objective Questions

Top गद्यांश MCQ Objective Questions

गद्यांश Question 1:

Comprehension:

अनुच्छेद पढ़कर दिए गए सवालों के सही जवाब चुनिए :-

मनुष्य की 70-80 प्रतिशत लंबाई जीन्स द्वारा निर्धारित होती है। बाकी 20-30 प्रतिशत के लिए अनेक कारक उत्तरदाई होते हैं। पहला पोषण, जिसमें आहार में प्रोटीन की कुल मात्रा, खनिज खासकर विटामिन प्रमुख योगदान देते हैं। दूसरे हॉर्मोन, जिनमें मानव वृद्धि हॉर्मोन (ग्रोथ हॉर्मोन), यौन हॉर्मोन, एंड्रोजन व ईस्ट्रोजन तथा थायरॉइड हॉर्मोन प्रमुख हैं। इनमें मानव वृद्धि हॉर्मोन का सबसे बड़ा योगदान रहता है। किसी व्यक्ति के शरीर में मानव वृद्धि हॉर्मोन किस मात्रा में बनता है, इस प्रक्रिया को भी बहुत से कारक प्रभावित करते हैं। व्यक्ति कितनी शारीरिक कसरत करता है, उसे रात में पूरी नींद मिल पाती है या नहीं; ये दो कारक मानव वृद्धि हॉर्मोन के नैसर्गिक उत्पादन में मुख्य भूमिका निभाते हैं। स्वास्थ्य का भी लंबे होने की क्षमता पर प्रभाव पड़ता है, जो बच्चे बार-बार बीमार पड़ते हैं या जिन्हें कोई दीर्घकालिक रोग हो जाता है, उनकी लंबाई अपेक्षानुसार नहीं बढ़ पाती।

लंबाई निर्धारित करने में किस हॉर्मोन का सबसे बड़ा योगदान रहता है? 

  1. ईस्ट्रोजन 
  2. यौन हॉर्मोन 
  3. थायरॉइड हॉर्मोन 
  4. मानव-वृद्धि हॉर्मोन 

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : मानव-वृद्धि हॉर्मोन 

गद्यांश Question 1 Detailed Solution

लंबाई निर्धारित करने में मानव-वृद्धि हॉर्मोन का सबसे बड़ा योगदान रहता है

Key Points

  • अनुच्छेद के अनुसार -
    • किसी व्यक्ति के शरीर में मानव वृद्धि हॉर्मोन किस मात्रा में बनता है,
    • इस प्रक्रिया को भी बहुत से कारक प्रभावित करते हैं। व्यक्ति कितनी शारीरिक कसरत करता है,
    • उसे रात में पूरी नींद मिल पाती है या नहीं;
    • ये दो कारक मानव वृद्धि हॉर्मोन के नैसर्गिक उत्पादन में मुख्य भूमिका निभाते हैं। 

Additional Information 
 
अन्य विकल्प -

  • ईस्ट्रोजन -
    • ईस्ट्रोजन एक प्रमुख यौन हॉर्मोन है जो महिलाओं में सेकंडरी यौन विशेषताओं के विकास और प्रजनन प्रणाली के कार्य को प्रभावित करता है।
    • वृद्धि की प्रक्रिया में इसका योगदान मुख्यतः किशोरावस्था के दौरान होता है, जब वृद्धि की गति बढ़ जाती है।
    • हालांकि, इसका समग्र प्रभाव मानव वृद्धि हॉर्मोन जितना प्रत्यक्ष और व्यापक नहीं होता है।
  • यौन हॉर्मोन -
    • ये हॉर्मोन पुरुषों (टेस्टोस्टेरोन) और महिलाओं (ईस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन) में प्रजनन से संबंधित कार्यों को नियंत्रित करते हैं।
    • ये हॉर्मोन वृद्धि की प्रक्रिया में योगदान करते हैं, विशेषकर किशोरावस्था में जहाँ वे तीव्र वृद्धि और यौन विकास को प्रभावित करते हैं।
    • हालांकि, उनके प्रभाव भी HGH के मुकाबले सीमित और स्पेसिफिक होते हैं।
  • थायरॉइड हॉर्मोन -
    • थायरॉइड हॉर्मोन (जैसे कि T3 और T4) चयापचय को नियंत्रित करते हैं और सामान्य विकास और मस्तिष्क विकास के लिए अत्यंत आवश्यक हैं।
    • वे भी वृद्धि की दर को प्रभावित करते हैं, लेकिन HGH जितना सीधे तौर पर नहीं। उनका प्रभाव व्यापक रूप से शारीरिक और मानसिक विकास पर होता है।

गद्यांश Question 2:

Comprehension:

अनुच्छेद पढ़कर दिए गए सवालों के सही जवाब चुनिए :-

मनुष्य की 70-80 प्रतिशत लंबाई जीन्स द्वारा निर्धारित होती है। बाकी 20-30 प्रतिशत के लिए अनेक कारक उत्तरदाई होते हैं। पहला पोषण, जिसमें आहार में प्रोटीन की कुल मात्रा, खनिज खासकर विटामिन प्रमुख योगदान देते हैं। दूसरे हॉर्मोन, जिनमें मानव वृद्धि हॉर्मोन (ग्रोथ हॉर्मोन), यौन हॉर्मोन, एंड्रोजन व ईस्ट्रोजन तथा थायरॉइड हॉर्मोन प्रमुख हैं। इनमें मानव वृद्धि हॉर्मोन का सबसे बड़ा योगदान रहता है। किसी व्यक्ति के शरीर में मानव वृद्धि हॉर्मोन किस मात्रा में बनता है, इस प्रक्रिया को भी बहुत से कारक प्रभावित करते हैं। व्यक्ति कितनी शारीरिक कसरत करता है, उसे रात में पूरी नींद मिल पाती है या नहीं; ये दो कारक मानव वृद्धि हॉर्मोन के नैसर्गिक उत्पादन में मुख्य भूमिका निभाते हैं। स्वास्थ्य का भी लंबे होने की क्षमता पर प्रभाव पड़ता है, जो बच्चे बार-बार बीमार पड़ते हैं या जिन्हें कोई दीर्घकालिक रोग हो जाता है, उनकी लंबाई अपेक्षानुसार नहीं बढ़ पाती।

मानव-वृद्धि हॉर्मोन के नैसर्गिक उत्पादन में कौन-से कारक मुख्य भूमिका निभाते हैं? 

  1. खनिज 
  2. पोषण 
  3. व्यक्ति कितनी शारीरिक कसरत करता है, उसे रात में पूरी नींद मिल पाती है या नहीं; 
  4. आहार में प्रोटीन की मात्रा 

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : व्यक्ति कितनी शारीरिक कसरत करता है, उसे रात में पूरी नींद मिल पाती है या नहीं; 

गद्यांश Question 2 Detailed Solution

मानव-वृद्धि हॉर्मोन के नैसर्गिक उत्पादन में कारक मुख्य भूमिका निभाते हैं- व्यक्ति कितनी शारीरिक कसरत करता है, उसे रात में पूरी नींद मिल पाती है या नहीं; 

Key Points

  • अनुच्छेद के अनुसार -
    • इस प्रक्रिया को भी बहुत से कारक प्रभावित करते हैं।
    • व्यक्ति कितनी शारीरिक कसरत करता है, उसे रात में पूरी नींद मिल पाती है या नहीं;
    • ये दो कारक मानव वृद्धि हॉर्मोन के नैसर्गिक उत्पादन में मुख्य भूमिका निभाते हैं।
    • स्वास्थ्य का भी लंबे होने की क्षमता पर प्रभाव पड़ता है, जो बच्चे बार-बार बीमार पड़ते हैं 

Additional Information अन्य विकल्प -

  • खनिज 
    • खनिज भी मानव शरीर के विकास और वृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं,
    • लेकिन वे मुख्यतः पोषण से संबंधित हैं, जैसे कि कैल्शियम और फॉस्फोरस हड्डियों की मजबूत बनाने में मदद करते हैं।
  • पोषण -
    • पोषण सीधे तौर पर मानव वृद्धि पर प्रभाव डालता है।
    • शरीर को आवश्यक पोषक तत्व और विटामिन प्राप्त होने से वृद्धि अधिक सुचारू रूप से होती है।​
  • आहार में प्रोटीन की मात्रा -
    • प्रोटीन शरीर के ऊतकों और मांसपेशियों की निर्माण और मरम्मत के लिए आवश्यक होता है।
    • प्रोटीन की सही मात्रा मिलने से बच्चे की विकास दर पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

गद्यांश Question 3:

Comprehension:

अनुच्छेद पढ़कर दिए गए सवालों के सही जवाब चुनिए :-

मनुष्य की 70-80 प्रतिशत लंबाई जीन्स द्वारा निर्धारित होती है। बाकी 20-30 प्रतिशत के लिए अनेक कारक उत्तरदाई होते हैं। पहला पोषण, जिसमें आहार में प्रोटीन की कुल मात्रा, खनिज खासकर विटामिन प्रमुख योगदान देते हैं। दूसरे हॉर्मोन, जिनमें मानव वृद्धि हॉर्मोन (ग्रोथ हॉर्मोन), यौन हॉर्मोन, एंड्रोजन व ईस्ट्रोजन तथा थायरॉइड हॉर्मोन प्रमुख हैं। इनमें मानव वृद्धि हॉर्मोन का सबसे बड़ा योगदान रहता है। किसी व्यक्ति के शरीर में मानव वृद्धि हॉर्मोन किस मात्रा में बनता है, इस प्रक्रिया को भी बहुत से कारक प्रभावित करते हैं। व्यक्ति कितनी शारीरिक कसरत करता है, उसे रात में पूरी नींद मिल पाती है या नहीं; ये दो कारक मानव वृद्धि हॉर्मोन के नैसर्गिक उत्पादन में मुख्य भूमिका निभाते हैं। स्वास्थ्य का भी लंबे होने की क्षमता पर प्रभाव पड़ता है, जो बच्चे बार-बार बीमार पड़ते हैं या जिन्हें कोई दीर्घकालिक रोग हो जाता है, उनकी लंबाई अपेक्षानुसार नहीं बढ़ पाती।

मनुष्य की कितनी प्रतिशत लंबाई जीन्स द्वारा निर्धारित होती है? 

  1. 50
  2. 70-80
  3. 100
  4. 20-30

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : 70-80

गद्यांश Question 3 Detailed Solution

मनुष्य की 70-80 प्रतिशत लंबाई जीन्स द्वारा निर्धारित होती है।

Key Points

  • अनुच्छेद के अनुसार -
    • मनुष्य की 70-80 प्रतिशत लंबाई जीन्स द्वारा निर्धारित होती है।
    • बाकी 20-30 प्रतिशत के लिए अनेक कारक उत्तरदाई होते हैं।
    • पहला पोषण, जिसमें आहार में प्रोटीन की कुल मात्रा, खनिज खासकर विटामिन प्रमुख योगदान देते हैं।

गद्यांश Question 4:

Comprehension:

अनुच्छेद पढ़कर दिए गए सवालों के सही जवाब चुनिए :-

अहिंसात्मक अभ्यास का मार्ग ही अलग है। फौज में प्रतिदिन कवायद, कसरत, क्रूरतापूर्ण शिकार इत्यादि कराए जाते हैं। अहिंसात्मक अभ्यास इससे बिल्कुल भिन्न है। उसका साधन, यदि एक शब्द में कहना चाहें, तो बस, संयम है। यहाँ संयम व्यापक अर्थ में उन तमाम नियमों के लिए व्यक्त किया गया है, जिनका जिक्र हिंदुओं के तथा दूसरे धर्मों के धर्मग्रंथों में पाया जाता है। यह साधारण सदाचार के नियम सख्ती से पालन करके सीखे जाते हैं। इन सब नियमों का झुकाव अहिंसा और सत्य की ओर ही होता है। गांधी जी ने बार-बार लिखा है कि ईश्वर पर विश्वास इसका एक बहुत बड़ा सहायक होता है। यदि इस अहिंसात्मक प्रवृत्ति को जागृत और पुष्ट करने में समय लगाया जाए, बचपन से ही अभ्यास कराया जाए और इस पर पूरा ध्यान दिया जाए तो निर्भयता इत्यादि जो इसके मुख्य बाह्य रूप देखने में आते हैं, अवश्य ही प्राप्त किए जा सकते हैं। यह कहना कि यह मनुष्य के लिए संभव नहीं, बे-बुनियाद बात है। 

निर्भयता आदि गुणों को सीखने के लिए आवश्यक है - 

  1. युवावस्था में सत्य का आचरण 
  2. बचपन से ही अहिंसात्मक प्रवृत्ति का अभ्यास 
  3. प्रत्येक अवस्था में निडर रहना 
  4. बचपन में सैनिक शिक्षा का अभ्यास 

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : बचपन से ही अहिंसात्मक प्रवृत्ति का अभ्यास 

गद्यांश Question 4 Detailed Solution

निर्भयता आदि गुणों को सीखने के लिए आवश्यक है - बचपन से ही अहिंसात्मक प्रवृत्ति का अभ्यास 

Key Points

  • गद्यांश के अनुसार -
    • गांधी जी ने बार-बार लिखा है कि ईश्वर पर विश्वास इसका एक बहुत बड़ा सहायक होता है।
    • यदि इस अहिंसात्मक प्रवृत्ति को जागृत और पुष्ट करने में समय लगाया जाए,
    • बचपन से ही अभ्यास कराया जाए और इस पर पूरा ध्यान दिया जाए तो निर्भयता इत्यादि जो इसके मुख्य बाह्य रूप देखने में आते हैं,
    • अवश्य ही प्राप्त किए जा सकते हैं। यह कहना कि यह मनुष्य के लिए संभव नहीं, बे-बुनियाद बात है।  

Additional Information 
 
अन्य विकल्प -

  • युवावस्था में सत्य का आचरण: यह विकल्प सही नहीं है क्योंकि गद्यांश में युवावस्था में सत्य का आचरण विशेष रूप से नहीं बताया गया है।
  • प्रत्येक अवस्था में निडर रहना: यह विकल्प भी सही नहीं है क्योंकि गद्यांश में मुख्यतः बचपन से अभ्यास करने पर जोर दिया गया है।
  • बचपन में सैनिक शिक्षा का अभ्यास: यह विकल्प सही नहीं है क्योंकि इसमें बचपन से अहिंसात्मक प्रवृत्ति का अभ्यास करने की बात की गई है, न कि सैनिक शिक्षा का।

गद्यांश Question 5:

Comprehension:

अनुच्छेद पढ़कर दिए गए सवालों के सही जवाब चुनिए :-

अहिंसात्मक अभ्यास का मार्ग ही अलग है। फौज में प्रतिदिन कवायद, कसरत, क्रूरतापूर्ण शिकार इत्यादि कराए जाते हैं। अहिंसात्मक अभ्यास इससे बिल्कुल भिन्न है। उसका साधन, यदि एक शब्द में कहना चाहें, तो बस, संयम है। यहाँ संयम व्यापक अर्थ में उन तमाम नियमों के लिए व्यक्त किया गया है, जिनका जिक्र हिंदुओं के तथा दूसरे धर्मों के धर्मग्रंथों में पाया जाता है। यह साधारण सदाचार के नियम सख्ती से पालन करके सीखे जाते हैं। इन सब नियमों का झुकाव अहिंसा और सत्य की ओर ही होता है। गांधी जी ने बार-बार लिखा है कि ईश्वर पर विश्वास इसका एक बहुत बड़ा सहायक होता है। यदि इस अहिंसात्मक प्रवृत्ति को जागृत और पुष्ट करने में समय लगाया जाए, बचपन से ही अभ्यास कराया जाए और इस पर पूरा ध्यान दिया जाए तो निर्भयता इत्यादि जो इसके मुख्य बाह्य रूप देखने में आते हैं, अवश्य ही प्राप्त किए जा सकते हैं। यह कहना कि यह मनुष्य के लिए संभव नहीं, बे-बुनियाद बात है। 

धर्मग्रंथ में सर्वाधिक बल दिया गया है-

  1. सदाचार के नियमों पर 
  2. धर्म-पालन पर
  3. सहिष्णुता पर
  4. भक्ति और ज्ञान पर

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : सदाचार के नियमों पर 

गद्यांश Question 5 Detailed Solution

धर्मग्रंथ में सर्वाधिक बल दिया गया है- सदाचार के नियमों पर 

Key Points

  • गद्यांश के अनुसार -
    • यहाँ संयम व्यापक अर्थ में उन तमाम नियमों के लिए व्यक्त किया गया है,
    • जिनका जिक्र हिंदुओं के तथा दूसरे धर्मों के धर्मग्रंथों में पाया जाता है।
    • यह साधारण सदाचार के नियम सख्ती से पालन करके सीखे जाते हैं।
    • इन सब नियमों का झुकाव अहिंसा और सत्य की ओर ही होता है।
    • गांधी जी ने बार-बार लिखा है कि ईश्वर पर विश्वास इसका एक बहुत बड़ा सहायक होता है। 

Additional Information अन्य विकल्प -

  • धर्म-पालन पर: यह विकल्प सही नहीं है क्योंकि गद्यांश का मुख्य उद्देश्य धर्म-पालन से संबंधित नहीं है।
  • सहिष्णुता पर: यह विकल्प सही नहीं है क्योंकि गद्यांश में सहिष्णुता पर विशेष बल नहीं दिया गया है।
  • भक्ति और ज्ञान पर: यह विकल्प भी सही नहीं है क्योंकि गद्यांश में भक्ति और ज्ञान पर फोकस नहीं है।

गद्यांश Question 6:

Comprehension:

अनुच्छेद पढ़कर दिए गए सवालों के सही जवाब चुनिए :-

अहिंसात्मक अभ्यास का मार्ग ही अलग है। फौज में प्रतिदिन कवायद, कसरत, क्रूरतापूर्ण शिकार इत्यादि कराए जाते हैं। अहिंसात्मक अभ्यास इससे बिल्कुल भिन्न है। उसका साधन, यदि एक शब्द में कहना चाहें, तो बस, संयम है। यहाँ संयम व्यापक अर्थ में उन तमाम नियमों के लिए व्यक्त किया गया है, जिनका जिक्र हिंदुओं के तथा दूसरे धर्मों के धर्मग्रंथों में पाया जाता है। यह साधारण सदाचार के नियम सख्ती से पालन करके सीखे जाते हैं। इन सब नियमों का झुकाव अहिंसा और सत्य की ओर ही होता है। गांधी जी ने बार-बार लिखा है कि ईश्वर पर विश्वास इसका एक बहुत बड़ा सहायक होता है। यदि इस अहिंसात्मक प्रवृत्ति को जागृत और पुष्ट करने में समय लगाया जाए, बचपन से ही अभ्यास कराया जाए और इस पर पूरा ध्यान दिया जाए तो निर्भयता इत्यादि जो इसके मुख्य बाह्य रूप देखने में आते हैं, अवश्य ही प्राप्त किए जा सकते हैं। यह कहना कि यह मनुष्य के लिए संभव नहीं, बे-बुनियाद बात है। 

उपर्युक्त गद्यांश में फौजी की गतिविधियों का इसलिए उल्लेख किया गया है कि. 

  1. फौजी का महत्व निरूपित किया जाए।
  2. अहिंसात्मक अभ्यास का विवेचन किया जा सके। 
  3. सैनिक शिक्षा की अनिवार्यता संकेतित की जाए।
  4. अहिंसात्मक अभ्यास की उससे पृथकता प्रतिपादित की जा सके।

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : अहिंसात्मक अभ्यास की उससे पृथकता प्रतिपादित की जा सके।

गद्यांश Question 6 Detailed Solution

उपर्युक्त गद्यांश में फौजी की गतिविधियों का इसलिए उल्लेख किया गया है कि अहिंसात्मक अभ्यास की उससे पृथकता प्रतिपादित की जा सके।

Key Points

  • गद्यांश के अनुसार -
    • अहिंसात्मक अभ्यास का मार्ग ही अलग है।
    • फौज में प्रतिदिन कवायद, कसरत, क्रूरतापूर्ण शिकार इत्यादि कराए जाते हैं।
    • अहिंसात्मक अभ्यास इससे बिल्कुल भिन्न है। उसका साधन, यदि एक शब्द में कहना चाहें, तो बस, संयम है। 

Additional Information अन्य विकल्प -

  • फौजी का महत्व निरूपित किया जाए: यह विकल्प सही नहीं है क्योंकि गद्यांश का उद्देश्य व्यक्तिगत रूप से फौजी के महत्व को निरूपित करना नहीं है।
  • अहिंसात्मक अभ्यास का विवेचन किया जा सके: यह विकल्प सही है क्योंकि गद्यांश में अहिंसात्मक अभ्यास की विशेषताओं को मुख्य रूप से प्रदर्शित किया गया है।
  • सैनिक शिक्षा की अनिवार्यता संकेतित की जाए: यह विकल्प भी सही नहीं है क्योंकि गद्यांश सैनिक शिक्षा की अनिवार्यता पर केंद्रित नहीं है, बल्कि अहिंसात्मक अभ्यास के विवेचन पर है।

गद्यांश Question 7:

Comprehension:

"समाज सेवा का क्षेत्र अनंत है। समाज सेवा का कोई बंधित क्षेत्र नहीं होता। समाज सेवा शहरों के अलावा छोटे-छोटे गाँवों, कस्बों में भी की जा सकती है। शहरों में समाज सेवा कई प्रकार से की जा सकती है। असहायों को सड़क पार करवाना, दुर्घटना के समय चिकित्सा सुविधायें  उपलब्ध करवाना, अस्पतालों में रोगियों को फल, दवाई, पौष्टिक चीजें वितरित करना, गरीबों को भोजन देना, बेसहारे निर्धन आवास की व्यवस्था करना आदि विभिन्न प्रकार से समाज सेवा की जा सकती है। इसके अलावा छोटे-छोटे बच्चों को सड़क पर करवाना, पर्यावरण की सुरक्षा के लिये वृक्षों को उगाना, पीने के पानी की व्यवस्था करना, बाहर से आये मुसाफिरों के लिये रहने की व्यवस्था करना, अनपढ़ों की सहायता करना आदि। हमारे यहाँ गाँवों की स्थिति काफी चिन्ताजनक है। आधुनिक और आवश्यक शिक्षा के अभाव में ग्रामीण रहन-सहन खराब है। चिकित्सा सुविधाओं के अभाववश ग्रामवासी अपनी बीमारियों के उपचार हेतु झाड़-फूँक का सहारा लेते हैं। पढ़े-लिखे न होने के कारण महाजन उनका शोषण करते हैं। अतः ग्रामों में समाज सेवा के लिये विद्यालय खोलना, प्रौढ़ शिक्षा का प्रबंध करना, किसानों को खेती संबंधी जानकारी उपलब्ध करवाना, आवश्यकता पड़ने पर खेत-खलिहान में लगी आग को बुझाने के तरीके बताना, रहन-सहन के तरीकों से अवगत कराना, चिकित्सा की सुविधायें उपलब्ध कराना आदि कदम उठाए जा सकते हैं।"

उपरोक्त गद्यांश के अनुसार गाँवों की दशा क्यों खराब है? 

  1. शिक्षा का अभाव
  2. महाजनों के शोषण के कारण
  3. चिकित्सा सुविधाओं की कमी के कारण
  4. उपर्युक्त सभी कारणों से

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : उपर्युक्त सभी कारणों से

गद्यांश Question 7 Detailed Solution

सही उत्तर है - उपर्युक्त सभी कारणों से

Key Points

  • गद्यांश के अनुसार-
    • हमारे यहाँ गाँवों की स्थिति काफी चिन्ताजनक है।
    • आधुनिक और आवश्यक शिक्षा के अभाव में ग्रामीण रहन-सहन खराब है।
    • चिकित्सा सुविधाओं के अभाववश ग्रामवासी अपनी बीमारियों के उपचार हेतु झाड़-फूँक का सहारा लेते हैं।
    • पढ़े-लिखे न होने के कारण महाजन उनका शोषण करते हैं।

गद्यांश Question 8:

Comprehension:

"समाज सेवा का क्षेत्र अनंत है। समाज सेवा का कोई बंधित क्षेत्र नहीं होता। समाज सेवा शहरों के अलावा छोटे-छोटे गाँवों, कस्बों में भी की जा सकती है। शहरों में समाज सेवा कई प्रकार से की जा सकती है। असहायों को सड़क पार करवाना, दुर्घटना के समय चिकित्सा सुविधायें  उपलब्ध करवाना, अस्पतालों में रोगियों को फल, दवाई, पौष्टिक चीजें वितरित करना, गरीबों को भोजन देना, बेसहारे निर्धन आवास की व्यवस्था करना आदि विभिन्न प्रकार से समाज सेवा की जा सकती है। इसके अलावा छोटे-छोटे बच्चों को सड़क पर करवाना, पर्यावरण की सुरक्षा के लिये वृक्षों को उगाना, पीने के पानी की व्यवस्था करना, बाहर से आये मुसाफिरों के लिये रहने की व्यवस्था करना, अनपढ़ों की सहायता करना आदि। हमारे यहाँ गाँवों की स्थिति काफी चिन्ताजनक है। आधुनिक और आवश्यक शिक्षा के अभाव में ग्रामीण रहन-सहन खराब है। चिकित्सा सुविधाओं के अभाववश ग्रामवासी अपनी बीमारियों के उपचार हेतु झाड़-फूँक का सहारा लेते हैं। पढ़े-लिखे न होने के कारण महाजन उनका शोषण करते हैं। अतः ग्रामों में समाज सेवा के लिये विद्यालय खोलना, प्रौढ़ शिक्षा का प्रबंध करना, किसानों को खेती संबंधी जानकारी उपलब्ध करवाना, आवश्यकता पड़ने पर खेत-खलिहान में लगी आग को बुझाने के तरीके बताना, रहन-सहन के तरीकों से अवगत कराना, चिकित्सा की सुविधायें उपलब्ध कराना आदि कदम उठाए जा सकते हैं।"

उपरोक्त गद्यांश के अनुसार प्रौढ़ शिक्षा क्या होती है? 

  1. अधेड़ आयु के लोगों की शिक्षा
  2. बच्चों की शिक्षा
  3. युवकों की शिक्षा
  4. स्त्रियों की शिक्षा

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : अधेड़ आयु के लोगों की शिक्षा

गद्यांश Question 8 Detailed Solution

उपरोक्त गद्यांश के अनुसार प्रौढ़ शिक्षा होती है- अधेड़ आयु के लोगों की शिक्षा

Key Points

  • गद्यांश के अनुसार-
    • चिकित्सा सुविधाओं के अभाववश ग्रामवासी अपनी बीमारियों के उपचार हेतु झाड़-फूँक का सहारा लेते हैं।
    • पढ़े-लिखे न होने के कारण महाजन उनका शोषण करते हैं।
    • अतः ग्रामों में समाज सेवा के लिये विद्यालय खोलना, प्रौढ़ शिक्षा का प्रबंध करना,
    • किसानों को खेती संबंधी जानकारी उपलब्ध करवाना,
    • आवश्यकता पड़ने पर खेत-खलिहान में लगी आग को बुझाने के तरीके बताना,

Additional Informationअन्य विकल्प -

  • बच्चों की शिक्षा - यह शिक्षा छोटे बच्चों को प्रदान की जाने वाली प्रारंभिक शिक्षा होती है, जिसमें प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा शामिल है।
  • युवकों की शिक्षा - यह किशोरों और युवाओं को दी जाने वाली माध्यमिक, उच्च माध्यमिक, और उच्च शिक्षा को संदर्भित करती है।
  • स्त्रियों की शिक्षा - यह विशेष रूप से महिलाओं को दी जाने वाली शिक्षा को संदर्भित करती है, चाहे वह किसी भी आयु वर्ग की हो।

गद्यांश Question 9:

Comprehension:

"समाज सेवा का क्षेत्र अनंत है। समाज सेवा का कोई बंधित क्षेत्र नहीं होता। समाज सेवा शहरों के अलावा छोटे-छोटे गाँवों, कस्बों में भी की जा सकती है। शहरों में समाज सेवा कई प्रकार से की जा सकती है। असहायों को सड़क पार करवाना, दुर्घटना के समय चिकित्सा सुविधायें  उपलब्ध करवाना, अस्पतालों में रोगियों को फल, दवाई, पौष्टिक चीजें वितरित करना, गरीबों को भोजन देना, बेसहारे निर्धन आवास की व्यवस्था करना आदि विभिन्न प्रकार से समाज सेवा की जा सकती है। इसके अलावा छोटे-छोटे बच्चों को सड़क पर करवाना, पर्यावरण की सुरक्षा के लिये वृक्षों को उगाना, पीने के पानी की व्यवस्था करना, बाहर से आये मुसाफिरों के लिये रहने की व्यवस्था करना, अनपढ़ों की सहायता करना आदि। हमारे यहाँ गाँवों की स्थिति काफी चिन्ताजनक है। आधुनिक और आवश्यक शिक्षा के अभाव में ग्रामीण रहन-सहन खराब है। चिकित्सा सुविधाओं के अभाववश ग्रामवासी अपनी बीमारियों के उपचार हेतु झाड़-फूँक का सहारा लेते हैं। पढ़े-लिखे न होने के कारण महाजन उनका शोषण करते हैं। अतः ग्रामों में समाज सेवा के लिये विद्यालय खोलना, प्रौढ़ शिक्षा का प्रबंध करना, किसानों को खेती संबंधी जानकारी उपलब्ध करवाना, आवश्यकता पड़ने पर खेत-खलिहान में लगी आग को बुझाने के तरीके बताना, रहन-सहन के तरीकों से अवगत कराना, चिकित्सा की सुविधायें उपलब्ध कराना आदि कदम उठाए जा सकते हैं।"

उपरोक्त गद्यांश के अनुसार समाज सेवा का क्षेत्र कैसा होता है? 

  1. बंधित
  2. अनंत
  3. शहरी
  4. सीमित

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : अनंत

गद्यांश Question 9 Detailed Solution

उपरोक्त गद्यांश के अनुसार समाज सेवा का क्षेत्र होता है- अनंत

Key Points

  • गद्यांश के अनुसार-
    • "समाज सेवा का क्षेत्र अनंत है। समाज सेवा का कोई बंधित क्षेत्र नहीं होता।
    • समाज सेवा शहरों के अलावा छोटे-छोटे गाँवों, कस्बों में भी की जा सकती है। 

Additional Informationअन्य विकल्प -

  • बंधित- गद्यांश स्पष्टतः कहता है, "समाज सेवा का कोई बंधित क्षेत्र नहीं होता।"
    • बंधित का अर्थ है सीमित, लेकिन गद्यांश बताता है कि समाज सेवा सीमित नहीं है।
  • शहरी- यद्यपि गद्यांश में कहा गया है कि समाज सेवा शहरों में भी की जा सकती है,
    • लेकिन यह स्पष्ट किया गया है कि यह शहरों तक ही सीमित नहीं है। यानी समाज सेवा केवल शहरी क्षेत्र नहीं है।
  • सीमित-
    • गद्यांश में साफ कहा गया है कि "समाज सेवा का क्षेत्र अनंत है"
    • और "समाज सेवा का कोई बंधित क्षेत्र नहीं होता", जिसका अर्थ है कि समाज सेवा सीमित नहीं है।

गद्यांश Question 10:

Comprehension:

अनुच्छेद पढ़कर, दिए गए सवालों के सही जवाब चुनिए -

वस्तुतः पूँजीवादी व्यवस्था में दो मुख्य वर्ग होते हैं - बुर्जुआ और सर्वहारा। लेकिन इनके बीच एक अन्य वर्ग भी होता है जिसे मध्य वर्ग कहते हैं। इस वर्ग की समाज की सत्ता संरचना में कोई खास स्थान नहीं मिलता, परंतु इसके कुछ फायदे उसे अवश्य मिलते हैं। इसके अतिरिक्त सर्वहारा वर्ग को इस समाज में कोई फायदा नहीं मिलता। धन रहने की बात तो दूर, उन्हें बुनियादी जरूरतें प्राप्त करने में भी कठिनाई होती है। सर्वहारा वर्ग से संबद्ध होने में उन्हें पहचान पाना। इन परिस्थितियों में सर्वहारा वर्ग की शक्ति कमजोर होती है और सत्ता में बुर्जुआ वर्ग की स्थिति मजबूत बनी रहती है। ऐतिहासिक विकास क्रम में ‘श्रेणी’ शब्द के स्थान पर जब भौगोलिक क्रांति के साथ बुर्जुआ व सर्वहारा वर्ग उभरा तो इन दोनों के साथ मध्य वर्ग अस्तित्व में आया। इसके अपने वर्ग का कोई इतिहास नहीं मिलता। आधुनिक पूँजीवादी समाजों में सामान्यतः मध्य समूह सामंती किलों का सदस्य है – पहला, छोटे व्यापारी, दूसरे पढ़े-लिखे बुद्धिजीवी जो अपनी सेवाओं को बेचते हैं, तीसरे निजी बुर्जुआ भी आते हैं। ये सर्वहारा के समान ही होते हैं लेकिन संभावना रहती है कि वे अपने कार्य हेतु मजदूरों पर श्रमिकों को रख लें। इस तरह इन्हें छोटा बुर्जुआ समझा जा सकता है।

 

छोटे व्यापारी किनके समान होते हैं?

  1. बुर्जुआ वर्ग के
  2. सर्वहारा वर्ग के
  3. मध्य वर्ग के
  4. किन्हीं के समान नहीं

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : सर्वहारा वर्ग के

गद्यांश Question 10 Detailed Solution

छोटे व्यापारी सर्वहारा वर्ग के समान होते हैं। 

Key Points

  • अनुच्छेद के अनुसार -
    • आधुनिक पूँजीवादी समाजों में सामान्यतः मध्य समूह सामंती किलों का सदस्य है –
    • पहला, छोटे व्यापारी, दूसरे पढ़े-लिखे बुद्धिजीवी जो अपनी सेवाओं को बेचते हैं,
    • तीसरे निजी बुर्जुआ भी आते हैं। ये सर्वहारा के समान ही होते हैं लेकिन संभावना रहती है
    • कि वे अपने कार्य हेतु मजदूरों पर श्रमिकों को रख लें। 

Additional Informationअन्य विकल्प -

  • बुर्जुआ वर्ग के: अनुच्छेद में यह स्पष्ट रूप से उल्लेख नहीं किया गया है कि छोटे व्यापारी बुर्जुआ वर्ग के समान होते हैं।
  • मध्य वर्ग के: अनुच्छेद यह बताता है कि छोटे व्यापारी, पढ़े-लिखे बुद्धिजीवी और निजी बुर्जुआ मध्य वर्ग में आते हैं, लेकिन यह भी बताता है कि छोटे व्यापारी सर्वहारा वर्ग के समान होते हैं।
  • किन्हीं के समान नहीं: यह विकल्प भी सही नहीं हो सकता क्योंकि अनुच्छेद में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि छोटे व्यापारी सर्वहारा के समान होते हैं।
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