जीन पियाजे के संज्ञानात्मक विकास का सिद्धांत यह बताता है कि

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CTET (Social Studies) Official Paper-II (Held On: 07 Jul, 2024)
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  1. पाठ्यचर्या को बच्चों के आयु-समूह व चरण को ध्यान में रखकर तैयार किया जाना चाहिए।
  2. शिक्षण का बल गतिविधि के परिणाम पर होना चाहिए न कि सोचने की प्रक्रिया पर ।
  3. व्यवहार को दंड और पुरस्कारों के माध्यम से अनुकूलित किया जाना चाहिए।
  4. अवधारणाओं को जटिल से सरल के क्रम में सिखाया जाना चाहिए।

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : पाठ्यचर्या को बच्चों के आयु-समूह व चरण को ध्यान में रखकर तैयार किया जाना चाहिए।
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जीन पियाजे का संज्ञानात्मक विकास का सिद्धांत बताता है कि बच्चों की सोच उनके बड़े होने के साथ-साथ किस तरह विकसित होती है। इस सिद्धांत का पाठ्यचर्या डिजाइन और शिक्षण प्रथाओं पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है।

Key Points 

  • पियाजे का सिद्धांत इस बात पर जोर देता है कि बच्चे संज्ञानात्मक विकास के विभिन्न चरणों से गुजरते हैं, जिनमें से प्रत्येक चरण में सोचने और दुनिया को समझने के अलग-अलग तरीके होते हैं।
  • शिक्षकों को ऐसा पाठ्यचर्या तैयार करना चाहिए जो प्रत्येक स्तर पर छात्रों की संज्ञानात्मक क्षमताओं को समायोजित कर सके।
  • इसका अर्थ है ऐसे शिक्षण अनुभव का सृजन करना जो उनके विकासात्मक स्तर के लिए न तो बहुत उन्नत हों और न ही बहुत सरल हों।
  • पाठ्यचर्या में विद्यार्थियों को प्रयोग करने, अन्वेषण करने और ऐसी गतिविधियों में संलग्न होने के अवसर प्रदान किए जाने चाहिए जो उनके पर्यावरण के साथ प्रत्यक्ष संपर्क के माध्यम से संज्ञानात्मक विकास को बढ़ावा दें।

इसलिए, हम यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि जीन पियाजे के संज्ञानात्मक विकास के सिद्धांत का तात्पर्य है कि पाठ्यचर्या​ को बच्चों के आयु वर्ग और चरण को ध्यान में रखते हुए तैयार किया जाना चाहिए।

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