भक्ति रस MCQ Quiz - Objective Question with Answer for भक्ति रस - Download Free PDF

Last updated on Jun 17, 2025

Latest भक्ति रस MCQ Objective Questions

भक्ति रस Question 1:

इनमें से किसे उज्जवल रस या मधुर रस भी कहते हैं?

  1. भक्ति
  2. श्रृंगार
  3. हास्य
  4. वात्सल्य
  5. उपर्युक्त में से कोई नहीं

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : भक्ति

भक्ति रस Question 1 Detailed Solution

इनमें से भक्ति उज्जवल रस या मधुर रस भी कहते हैं

Key Points

  • उज्जवल रस और मधुर रस विशेष रूप से उस भक्ति को दर्शाते हैं जिसमें प्रेम, आकर्षण, और मिठास होती है।
  • यह रस भक्त और ईश्वर के बीच के गहन भावनात्मक और प्रेममय संबंध को चित्रित करता है।
  • जब काव्य में ईश्वर की भक्ति एवं महिमा का वर्णन किया जाए तो वहाँ पर भक्ति रस होता है।
  • इसका स्थायी भाव 'देव रति' है।
  • उदाहरण -
    • प्रभु जी तुम चंदन हम पानी
    • जाकी अंग-अंग बास समानी।

Important Points

रस      स्थायी भाव
शृंगार  रति
करुण  शोक 
हास्य   हास
वीर  उत्साह
भयानक  भय
रौद्र  क्रोध
अद्भुत  आश्चर्य , विस्मय
शांत  निर्वेद या निर्वृती
वीभत्स  जुगुप्सा
वात्सल्य   रति

Additional Information 
 

श्रृंगार रस-

  • जहाँ पर नायक और नायिका के सौंदर्य तथा प्रेम संबंधी वर्णन को श्रृंगार रस कहते हैं, श्रृंगार रस को रसराज या रसपति कहा गया है। 
  •  इसका स्थाई भाव रति है। श्रृंगार रस को दो भागों में विभाजित किया जाता है:
  • संयोग श्रृंगार: जब प्रेमी और प्रेमिका का मिलन होता है।
  • वियोग श्रृंगार: जब प्रेमी और प्रेमिका का वियोग, दूर हो जाना या बिछड़ना होता है।

उदाहरण -

  • मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरो न कोई।
  • जाके सिर मोर मुकुट मेरो पति सोई।

हास्य रस-

  • किसी व्यक्ति की अनोखी विचित्र वेशभूषा, रूप, हाव-भाव को देखकर अथवा सुनकर जो हास्यभाव जाग्रत होता है, वही हास्य रस कहलाता है। हास्य रस का स्थायी भाव हास है।

उदाहरण -

  • बुरे समय को देखकर गंजे तू क्यों रोय।
  • किसी भी हालत में तेरा बाल न बाँका होय।।

वात्सल्य रस -

  • ​​माता-पिता और संतान के बीच के प्रेम को व्यक्त करता है। यह रस स्नेह, अनुराग, और बच्चे के प्रति गहरी ममता को दर्शाता है। 
  • इसका स्थायी भाव "वत्सलता" है, और यह प्रेम की निर्मल और पवित्र अवस्था है। 

उदाहरण- 

  • बाल दसा सुख निरखि जसोदा, पुनि पुनि नन्द बुलवाति।
  • अंचरा-तर लै ढ़ाकी सूर, प्रभु कौ दूध पियावति।।

भक्ति रस Question 2:

'भक्तिरस' के प्रतिष्ठापक आचार्य इनमें से कौन हैं?  

  1. रूपगोस्वामी 
  2. आचार्य भरत 
  3. आचार्य विश्वनाथ 
  4. आचार्य मम्मट 

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : रूपगोस्वामी 

भक्ति रस Question 2 Detailed Solution

'भक्तिरस' के प्रतिष्ठापक आचार्य है- रूप गोस्वामी

Key Pointsरूप गोस्वामी - 

  • इन्होने देव विषयक रति को स्थायीभाव मानकर 11 वें रस भक्तिरस का प्रतिपादन किया है। 
  • भक्ति के आधार 5 रसों की कल्पना की - शांत, दास्य (प्रीति) सख्य (प्रेयस) वात्सल्य और माधुर्य रस।

Important Pointsआचार्य विश्वनाथ-

  • जन्म-1300-1384ई.
  • आचार्य विश्वनाथ संस्कृत काव्य शास्त्र के मर्मज्ञ और आचार्य थे।
  • प्रसिद्ध ग्रंथ-'काव्यप्रकाश'

आचार्य भरतमुनि-

  • इनका समय 400ई. पू. 100ई. सन माना जाता है।
  • इन्होने नाट्यशास्त्र की रचना की।

मम्मट-

  • जन्म-11वीं शती
  • मम्मट संस्कृत काव्यशास्त्र के सर्वश्रेष्ठ विद्वानों में जाने जाते हैं।
  • वे अपने शास्त्रग्रंथ काव्यप्रकाश के कारण अधिक प्रसिद्ध हुए।​

भक्ति रस Question 3:

इनमें से किसे उज्जवल रस या मधुर रस भी कहते हैं?

  1. भक्ति
  2. श्रृंगार
  3. हास्य
  4. वात्सल्य

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : भक्ति

भक्ति रस Question 3 Detailed Solution

इनमें से भक्ति उज्जवल रस या मधुर रस भी कहते हैं

Key Points

  • उज्जवल रस और मधुर रस विशेष रूप से उस भक्ति को दर्शाते हैं जिसमें प्रेम, आकर्षण, और मिठास होती है।
  • यह रस भक्त और ईश्वर के बीच के गहन भावनात्मक और प्रेममय संबंध को चित्रित करता है।
  • जब काव्य में ईश्वर की भक्ति एवं महिमा का वर्णन किया जाए तो वहाँ पर भक्ति रस होता है।
  • इसका स्थायी भाव 'देव रति' है।
  • उदाहरण -
    • प्रभु जी तुम चंदन हम पानी
    • जाकी अंग-अंग बास समानी।

Important Points

रस      स्थायी भाव
शृंगार  रति
करुण  शोक 
हास्य   हास
वीर  उत्साह
भयानक  भय
रौद्र  क्रोध
अद्भुत  आश्चर्य , विस्मय
शांत  निर्वेद या निर्वृती
वीभत्स  जुगुप्सा
वात्सल्य   रति

Additional Information 
 

श्रृंगार रस-

  • जहाँ पर नायक और नायिका के सौंदर्य तथा प्रेम संबंधी वर्णन को श्रृंगार रस कहते हैं, श्रृंगार रस को रसराज या रसपति कहा गया है। 
  •  इसका स्थाई भाव रति है। श्रृंगार रस को दो भागों में विभाजित किया जाता है:
  • संयोग श्रृंगार: जब प्रेमी और प्रेमिका का मिलन होता है।
  • वियोग श्रृंगार: जब प्रेमी और प्रेमिका का वियोग, दूर हो जाना या बिछड़ना होता है।

उदाहरण -

  • मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरो न कोई।
  • जाके सिर मोर मुकुट मेरो पति सोई।

हास्य रस-

  • किसी व्यक्ति की अनोखी विचित्र वेशभूषा, रूप, हाव-भाव को देखकर अथवा सुनकर जो हास्यभाव जाग्रत होता है, वही हास्य रस कहलाता है। हास्य रस का स्थायी भाव हास है।

उदाहरण -

  • बुरे समय को देखकर गंजे तू क्यों रोय।
  • किसी भी हालत में तेरा बाल न बाँका होय।।

वात्सल्य रस -

  • ​​माता-पिता और संतान के बीच के प्रेम को व्यक्त करता है। यह रस स्नेह, अनुराग, और बच्चे के प्रति गहरी ममता को दर्शाता है। 
  • इसका स्थायी भाव "वत्सलता" है, और यह प्रेम की निर्मल और पवित्र अवस्था है। 

उदाहरण- 

  • बाल दसा सुख निरखि जसोदा, पुनि पुनि नन्द बुलवाति।
  • अंचरा-तर लै ढ़ाकी सूर, प्रभु कौ दूध पियावति।।

भक्ति रस Question 4:

निम्नलिखित में से 'भक्ति रस' के प्रतिष्ठापक आचार्य कौन हैं?

  1. आचार्य भरत
  2. आचार्य रुद्रट
  3. रूप गोस्वामी
  4. उपर्युक्त में से एक से अधिक
  5. उपर्युक्त में से कोई नहीं

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : रूप गोस्वामी

भक्ति रस Question 4 Detailed Solution

‘रूपगोस्वामी’ ने ‘मधुर’ नामक ग्यारहवें रस की स्थापना की, जिसे ‘भक्ति रस’ के रूप में मान्यता मिली। अतः सही विकल्प रूपगोस्वामी है।
Key Points

अन्य विकल्प

  • भरत मुनि नाट्यशास्त्र के प्रवर्तक हैं जिन्होंने रस की स्थापना की। उन्होंने एक प्रसिद्ध रस-सूत्र का निष्पादन किया ‘विभावानुभावव्याभिचारिसंयोगाद्रसनिष्पत्तिः’।
  • रूद्रट  - की रचना का नाम 'काव्यलंकार' है। इस ग्रंथ में 16 अध्याय तथा कुल 734 श्लोक है।

Additional Information

  • भक्ति रस का स्थायी भाव ‘देव रति’ है।
  • भक्ति रस, शान्त रस से भिन्न है। शान्त रस जहाँ निर्वेद या वैराग्य की ओर ले जाता है वहीं भक्ति ईश्वर विषयक रति की ओर ले जाते हैं। भक्ति रस के पाँच भेद हैं- शान्त, प्रीति, प्रेम, वत्सल और मधुर। ईश्वर के प्रति भक्ति भावना स्थायी रूप में मानव संस्कार में प्रतिष्ठित है, इस दृष्टि से भी भक्ति रस मान्य है।

रस और उनके स्थायी भाव-

रस

स्थायी भाव

शृंगार रस

रति

हास्य रस

हास

करुण रस

शोक

रौद्र रस

क्रोध

वीर रस

उत्साह

भयानक रस

भय

वीभत्स रस

जुगुप्सा

अद्भुत रस

विस्मय

शांत रस

निर्वेद

वात्सल्य रस

वत्सल

भक्ति रस

देव रति

भक्ति रस Question 5:

"मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरो न कोई

जाके सर मोर मुकुट मेरो पति सोई।।

साधुन संग बैठि बैठि लोक-लाज खोई।

अब तो बात फैल गई जाने सब कोई।।"

उपर्युक्त पंक्तियों में निम्न में से कौन-सा रस है?

  1. हास्य रस
  2. भक्ति रस
  3. वीभत्स रस
  4. करूण रस

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : भक्ति रस

भक्ति रस Question 5 Detailed Solution

उपर्युक्त पंक्तियों में "भक्ति रस" है। अन्‍य व‍िकल्‍प असंगत हैं। 

Key Points

"मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरो न कोई

जाके सर मोर मुकुट मेरो पति सोई।।

 साधुन संग बैठि बैठि लोक-लाज खोई।

 अब तो बात फैल गई जाने सब कोई।।"

  • उपर्युक्त पंक्तियों में "भक्ति रस" है।
  • उपर्युक्त पंक्तियों का भावार्थ- मीराबाई कहती हैं, गिरधर अर्थात कृष्ण तो मेरे हैं, दूसरा मेरा कोई नहीं हैं। कृष्ण जिनके सिर पर मोरो की मुकुट हैं, वही मेरे पति हे। मेने उन्ही को अपना पति मान लिया है, मैंने कुल की मर्यादा आदि सबकुछ छोड़ दिया हैं। ये सब मेरा कुछ नहीं कर सकता हैं।
रस  परिभाषा  उदाहरण
भक्ति रस जहाँ ईश्वर के प्रति प्रेम या अनुराग का वर्णन होता है वहाँ भक्ति रस होता है।

प्रभु जी तुम चंदन हम पानी,
जाकी गंध अंग-अंग समाही।

Additional Information

रस- रस एक प्रकार का आनन्‍द है, काव्‍य पढ़ने या नाटक देखने से जो विशेष प्रकार का आनन्‍द प्राप्‍त होता है। उसे रस कहा जाता है। हिन्‍दी में 'स्‍थायी भाव' के आधार पर काव्‍य में नौ रस बताये गए हैं, जो इस प्रकार हैं:- 
क्रम संख्‍या  रस  स्‍थायी भाव 
1. श्रृंगार रस  रति 
2. हास्‍य रस  हास 
3. करूण रस  शोक 
4. रौद्र रस क्रोध 
5. वीर रस  उत्‍साह 
6. भयानक रस  भय 
7. वीभत्‍स रस  जुगुप्‍सा 
8. अद्भुत रस   विस्‍मय 
9. शांत रस  निर्वेद 

इसके अलावा दो रस और माने जाते हैं। वे हैं- 

10. वात्सल्य रस  वात्‍सल्‍य 
11. भक्ति रस  वैराग्‍य 

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इन पंक्तियों में निम्न में से कौन सा रस है?

  1. वीभत्‍स रस
  2. वात्‍सल्‍य रस
  3. वीर रस
  4. भक्ति रस

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : भक्ति रस

भक्ति रस Question 6 Detailed Solution

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दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर विकल्प 4 'भक्ति रस' है। अन्य विकल्प इसके अनुचित उत्तर हैं। 

 Key Points

  • उपर्युक्त काव्य पंक्ति में 'भक्ति रस' है। 
  • जहां ईश्वर के प्रति प्रेम या अनुराग का वर्णन होता है वहाँ भक्ति रस होता है। 
  • इसका स्थायी भाव देव रति/अनुराग होता है। 

अन्य विकल्प: 

  • वीभत्स रस - वीभत्स का स्थायी भाव जुगुप्सा है। अत्यंत गंदे और घृणित दृश्य वीभत्स रस की उत्पत्ति करते हैं। गंदी और घृणित वस्तुओं के वर्णन से जब घृणा भाव पुष्ट होता है तब यह रस उत्पन्न होता है।
  • वात्‍सल्‍य रस -  वत्सल नामक भाव जब अपने अनुरूप विभाव , अनुभाव और संचारी भाव से युक्त होकर आस्वाद्य का रूप धारण कर लेता है , तब वहां वात्सल्य रस में परिणति हो जाती है।
  • वीर रस - अत्यन्त कठिन कार्य करने के उत्साह से रस की उत्पत्ति होती है। वीर रस के चार प्रकार हैं - युद्धवीर, दानवीर, दयावीर और धर्रमवीर।

Additional Information

काव्य को पढ़ने, सुनने से उत्पन्न होने वाले आनंद की अनुभूति को साहित्य के अंतर्गत रह कहा जाता है। हिंदी में ‘स्थायी भाव’ के आधार पर काव्य में ‘नौ’ रस बताए गए हैं, जो निम्नलिखित हैं:-

 

रस

स्थायी भाव

1.

शृंगार रस

रति

2.

हास्य रस

हास

3.

करुण रस

शोक

4.

रौद्र रस

क्रोध

5.

वीर रस

उत्साह

6.

भयानक रस

भय

7.

वीभत्स रस

जुगुप्सा

8.

अद्भुत रस

विस्मय

9.

शांत रस

निर्वेद

इसके अलावा 2 और रस माने जाते हैं। वे हैं-

10.

वात्सल्य

स्नेह

11.

भक्ति

वैराग्य

निम्न पंक्तियों में कौन सा रस है?

मेरो मन अनत कहां सुख पावै।

जैसे उड़ि जहाज कौ पंछी पुनि जहाज पै आवै।।

  1. शांत रस
  2. श्रंगार रस
  3. भक्ति रस
  4. वीर रस

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : भक्ति रस

भक्ति रस Question 7 Detailed Solution

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उपर्युक्त पंक्तियों में भक्ति रस हैं। अन्य विकल्प असंगत हैं। अतः सही विकल्प 3 ‘भक्ति रस’ है।

Key Points

  • “मेरो मन अनत कहां सुख पावै।

    जैसे उड़ि जहाज कौ पंछी पुनि जहाज पै आवै।।”

  • इन पंक्तियों में भक्ति रस है, इसमें भक्त की भगवान के प्रति श्रद्धा की उत्कृष्ट भावना का उल्लेख किया गया है कि भक्त का मन कहीं नहीं लगता जैसे जहाज का पंछी वापस लौट कर जहाज पर ही आ जाता है।

  • जहाँ ईश्वर के प्रति प्रेम या अनुराग का वर्णन होता है वहाँ भक्ति रस होता है. भक्ति रस का स्थायी भाव देव रति है। 

अन्य विकल्प - 

शांत रस

शान्त रस विषय वैराग्य एवं स्यायी भाव निर्वेद हैं। संसार की अनिश्चित एवं दु:ख की अधिकता को देखकर ह्रदय में विरक्ति उत्पन्न होती है। इस प्रकार के वर्णनो मे शान्त रस होता हैं। 

वीर रस

वीर रस का स्थायी भाव उत्साह हैं। युद्ध या कठिन कार्य करने के लिए जगा उत्साह भाव विभावादि से पुष्ट होकर वीर रस बन जाता हैं। युद्ध मे विपक्षी को देखकर, ओजस्वी वीर घोषणाएं या वीर गीत सुनकर तथा उत्साह वर्धक कार्यकलापों को देखने से यह रस जाग्रत होता हैं।

शृंगार रस

श्रृंगार रस का स्थायी भाव रति हैं। नर और नारी का प्रेम होकर श्रृंगार रस रूप मे परिणत होता हैं। इस रस मे नायक-नायिका के संयोग (मिलन) या वियोग की स्थिति का वर्णन होता हैं।


Additional Information 

 रस  

रस का शाब्दिक अर्थ है 'आनन्द'। काव्य को पढ़ने या सुनने से जिस आनन्द की अनुभूति होती है, उसे रस कहा जाता है।

‘भक्ति रस’ का स्थायी भाव इनमें से कौन सा है?

  1. क्रोध
  2. रति
  3. भक्ति
  4. हास

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : भक्ति

भक्ति रस Question 8 Detailed Solution

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दिए गए विकल्पों में भक्ति रस का स्थायी भाव भक्ति है। अन्य विकल्प असंगत हैं। अतः सह विकल्प भक्ति रसहै।

स्पष्टीकरण

भक्ति रस

इसका स्थायी भाव देव रति है तथा इस रस में ईश्वर के प्रति अनुरक्ति और अनुराग का वर्णन होता है।

जैसे - अँसुवन जल सिंची-सिंची प्रेम-बेलि बोई, मीरा की लगन लागी, होनी हो सो होई।

 अन्य विकल्प

रस

परिभाषा

उदाहरण

रौद्र रस

(इसका स्थाई भाव क्रोध है)

किसी व्यक्ति के द्वारा क्रोध में किए गए अपमान आदि से उत्पन्न हुआ भाव।

जैसे - अविरत बोले वचन कठोर, बेगी देखाउ मूढ नत आजू। उलतऊँ माहि जंह लग तवराजू।

शृंगार रस

(इसका स्थाई भाव रति (प्रेम) है)

जिस रस में नायक नायिका के प्रेम, मिलने, बिछुड़ने जैसी क्रियायों का वर्णन हो।

जैसे - बतरस लालच लाल की, मुरली धरी लुकाय। कहां करें, भौंहनी हंसे, दैन कहै, नटि जाय।

हास्य रस

(इसका स्थाई भाव हास है)

जहां विकृत आकार, वेश-भूषा, चेष्टा आदि के वर्णन से हास्य उत्पन्न हो।

जैसे तंबूरा ले मंच पर बैठे प्रेम प्रताप, साज मिले पंद्रह मिनट, घंटा भर आलाप। घंटा भर आलाप, राग में मारा गोता, धीरे-धीरे खिसक चुके थे सारे श्रोता।

सियराम सरूप अगाध अनूप, बिलोचन मेनन को जलु है।

श्रुति राम कथा मुख राम को नाम, हियें पुनि रामहि को थलु है। - में निम्न में से कौन सा रस है?

  1. रौद्र रस
  2. अद्भुत रस
  3. शांत रस
  4. भक्ति रस

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : भक्ति रस

भक्ति रस Question 9 Detailed Solution

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सही उत्तर विकल्प 'भक्ति रस’ है। 

Key Points

  • 'सियराम सरूप अगाध अनूप, बिलोचन मेनन को जलु है। श्रुति राम कथा मुख राम को नाम, हियें पुनि रामहि को थलु है।' इस काव्य पंक्ति में 'राम' के प्रति अनुराग होना 'भक्ति रस' का उदाहरण है। 

  • इस काव्य पंक्ति का अर्थ है - आँखें श्री सीताराम जी के स्वरूप रूपी सरोवर में मन मछली बन जाए. राम कथा सुनने को मिले, मुख में राम नाम रहे, ह्रदय में राम रहें ।  

  • जहाँ ईश्वर के प्रति प्रेम और अनुराग का वर्णन होता है वहाँ भक्ति रस होता है। 

  • इसका स्थायी भाव 'देव रति' है। 

Additional Information

काव्य को पढ़ने, सुनने से उत्पन्न होने वाले आनंद की अनुभूति को साहित्य के अंतर्गत रह कहा जाता है।  हिंदी में ‘स्थायी भाव’ के आधार पर काव्य में ‘नौ’ रस बताए गए हैं, जो निम्नलिखित हैं:-

 

रस

स्थायी भाव

1.

शृंगार रस

रति

2.

हास्य रस

हास

3.

करुण रस

शोक

4.

रौद्र रस

क्रोध

5.

वीर रस

उत्साह

6.

भयानक रस

भय

7.

वीभत्स रस

जुगुप्सा

8.

अद्भुत रस

विस्मय

9.

शांत रस

निर्वेद

इसके अलावा 2 और रस माने जाते हैं। वे हैं-

10.

वात्सल्य

स्नेह

11.

भक्ति

वैराग्य

दसवें और ग्यारहवें रस कौन से हैं?

  1. वात्सल्य और भक्ति रस
  2. निंदा रस और राजनीति रस
  3. निंदा रस और ‍भक्ति रस
  4. व्याजस्तुति रस और निंदा रस

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : वात्सल्य और भक्ति रस

भक्ति रस Question 10 Detailed Solution

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दसवें और ग्यारहवें रस वात्सल्य और भक्ति रस हैं। अन्य विकल्प असंगत हैं। अतः सही विकल्प 1 वात्सल्य और भक्ति रस​’ है।

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  • दसवें और ग्यारहवें रस वात्सल्य और भक्ति रस हैं।

रस का नाम

परिभाषा

उदाहरण

भक्ति रस

इस रस में ईश्वर की अनुरक्ति और अनुराग का वर्णन रहता है। इसका स्थायी भाव भगवत विषयक रति  है।

 राम जपु, राम जपु, राम जपु, बावरे। घोर भव-नीर-निधि नाम निज नाव रे।।

वात्सल्य रस

जहाँ शिशु के प्रति प्रेम, स्त्रेह, दुलार आदि का प्रमुखता से वर्णन किया जाता है वहाँ वात्सल्य रस होता है, इसका स्थायी भावं वात्सल हैं। सूरदास ने वात्सल्य रस का सुन्दर निरूपण किया हैं।

धूरि भरे अति सोभित स्यामजू, 
  तैसि बनी सिर सुन्दर चोटी।।

 

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रस 

रस का शाब्दिक अर्थ है 'आनन्द'। काव्य को पढ़ने या सुनने से जिस आनन्द की अनुभूति होती है, उसे रस कहा जाता है।

 

'पायो जी मैंने राम-रतन धन पायो I 

वस्तु अमोलक दी मेरे सद्गुरु किरपा करि अपनाओ I'

उपर्युक्त पंक्ति में कौन-सा रस है ?   

  1. वीर रस 
  2. करुण रस 
  3. भक्ति रस 
  4. रौद्र रस 

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : भक्ति रस 

भक्ति रस Question 11 Detailed Solution

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'पायो जी मैंने राम-रतन धन पायो I 

वस्तु अमोलक दी मेरे सद्गुरु किरपा करि अपनाओI'

उपर्युक्त पंक्ति में भक्ति रस है, अन्य विकल्प असंगत है, अत: 'भक्ति रस ' सही उत्तर होगा। 

Key Points

भक्ति रस

जहाँ ईश्वर के प्रति प्रेम या अनुराग का वर्णन होता है वहाँ भक्ति रस होता है. भक्ति रस का स्थायी भाव देव रति है। 

जैसे -मीरा की लगन लागी, होनी हो सो होई

 

Additional Information

वीर रस

(स्थाई भाव उत्साह है)

उत्साह नामक स्थाई भाव जब विभावादी के संयोग से परिपक्व होकर रस रूप में परिणत हो।
जैसे - वीर तुम बढ़े चलो, धीर तुम बढ़े चलो। सामने पहाड़ हो सिंह की दहाड़ हो। तुम कभी रूको नहीं, तुम कभी झुको नहीं।
करुण रस (स्थाई भाव शोक है)

किसी प्रिय व्यक्ति के विरह से उत्पन्न होने वाली शोकावस्था।
जैसे – सोक विकल सब रोंवही रानी। रूपु सीलु बलु तेज बखानी। करहिं मिलाप अनेक प्रकार। परहिं भूमि तल बारहिं बारा।

रौद्र रस

(इसका स्थाई भाव क्रोध है)

किसी व्यक्ति के द्वारा क्रोध में किए गए अपमान आदि से उत्पन्न हुआ भाव।
जैसे - अविरत बोले वचन कठोर, बेगी देखाउ मूढ नत आजू। उलतऊँ माहि जंह लग तवराजू।

Important Points

  • श्रव्य काव्य के पठन अथवा श्रवण एवं दृश्य काव्य के दर्शन तथा श्रवण में जो अलौकिक आनन्द प्राप्त होता है, वही काव्य में रस कहलाता है।
  • रस के जिस भाव से यह अनुभूति होती है कि वह रस है उसे स्थायी भाव होता है।
  • रस, छंद और अलंकार - काव्य रचना के आवश्यक अव्यय हैं।
  • रस का शाब्दिक अर्थ है - आनन्द

भक्ति रस का स्थायी भाव क्या है?

  1. विश्वाश
  2. ईश्वर विषयक रति
  3. समर्पण
  4. आस्था

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : ईश्वर विषयक रति

भक्ति रस Question 12 Detailed Solution

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भक्ति रस का स्थायी भाव ईश्वर विषयक रति है। अतः सही उत्तर ईश्वर विषयक रति होगा ।

Key Points

रस

परिभाषा

उदाहरण

भक्ति रस

भक्ति रस शान्त रस से भिन्न है। शान्त रस जहाँ निर्वेद या वैराग्य की ओर ले जाता है वहीं भक्ति ईश्वर विषयक रति की ओर ले जाते हैं

मेरे तो गिरिधर गोपाल दूसरों न कोई।
जाके सिर मोर मुकुट मेरो पति सोई।।

एक भरोसो एक बल, एक आस विश्वास

एक राम घनश्याम हित, चातक तुलसीदास।।

इन पंक्तियों में निम्न में से कौन सा रस है?

  1. वीर रस
  2. भक्ति रस
  3. शांत रस
  4. वात्सल्य रस

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : भक्ति रस

भक्ति रस Question 13 Detailed Solution

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उपरोक्त पंक्तियों में 'भक्ति रस' है। अन्य विकल्प असंगत हैं। अतः सही विकल्प 2 ‘भक्ति रस​’ है।

  Key Points

  • उपरोक्त पंक्तियों में राम के प्रति तुलसीदास की भक्तिभावना का चित्रण है, राम ही उनके एक मात्र विश्वास, बल आदि हैं।

भक्ति रस

जहाँ ईश्वर के प्रति प्रेम या अनुराग का वर्णन होता है वहाँ भक्ति रस होता है. भक्ति रस का स्थायी भाव देव रति है।

 

रस का नाम 

करुण रस​ 

स्थाई भाव 

देव रति

आलम्बन 

 ईश्वर, गुरु, साधू, सन्यासी, माता -पिता आदि 

उद्दीपन 

धर्म स्थल, ईश्वर मूर्ति, प्रतिमा आदि

अनुभाव 

शरणागत होना, समर्पित होना आदि  

संचारी भाव 

भक्ति भावना

 

अन्य विकल्प - 

रस

परिभाषा

वीर रस

जब किसी रचना या वाक्य आदि से वीरता जैसे स्थायी भाव की उत्पत्ति होती है, तो उसे वीर रस कहा जाता है।

शांत रस

इसका स्थायी भाव निर्वेद (उदासीनता) होता है इस रस में तत्व ज्ञान कि प्राप्ति अथवा संसार से वैराग्य होने पर, परमात्मा के वास्तविक रूप का ज्ञान होने पर मन को जो शान्ति मिलती है वहाँ शान्त रस कि उत्पत्ति होती है।

वात्सल्य रस

इसका स्थायी भाव वात्सल्यता (अनुराग) होता है माता का पुत्र के प्रति प्रेम, बड़ों का बच्चों के प्रति प्रेम, गुरुओं का शिष्य के प्रति प्रेम, बड़े भाई का छोटे भाई के प्रति प्रेम आदि का भाव स्नेह कहलाता है यही स्नेह का भाव परिपुष्ट होकर वात्सल्य रस कहलाता है।

 

Additional Information

रस 

रस का शाब्दिक अर्थ है 'आनन्द'। काव्य को पढ़ने या सुनने से जिस आनन्द की अनुभूति होती है, उसे रस कहा जाता है।

 

मेरी भव बाधा हरो, राधा नागरि सोई|

जा तन की साँई परे स्याम हरित दुति होई

उपर्युक्त पंक्ति में कौन-सा रस है?

  1. भक्ति रस
  2. शृंगार रस
  3. अदभुत रस
  4. वीर रस

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : भक्ति रस

भक्ति रस Question 14 Detailed Solution

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उपर्युक्त पंक्ति में भक्ति रस है,अन्य विकल्प असंगत है, अत: विकल्प 1 'भक्ति रस' सही उत्तर होगा। 

Key Points

राधा जी के पीले शरीर की छाया नीले कृष्ण पर पड़ने से वे हरे लगने लगते है।

दूसरा अर्थ है कि राधा की छाया पड़ने से कृष्ण हरित (प्रसन्न) हो उठते हैं।

मेरी भव बाधा हरो भारत के प्रसिद्ध साहित्यकार, कहानीकार और उपन्यासकार रांगेय राघव द्वारा लिखा गया एक श्रेष्ठ उपन्यास है। यह उपन्यास 'राजपाल एंड संस' प्रकाशन द्वारा प्रकाशित किया गया था। राघव जी का यह उपन्यास महाकवि बिहारीलाल के जीवन पर आधारित अत्यंत रोचक मौलिक रचना है। यह उपन्यास उस युग के समाज, राजनीति और धार्मिक जीवन का भी सजीव चित्रण करता है| 

भक्ति रस 

(स्थायी भाव देव रति)


जहाँ ईश्वर के प्रति प्रेम या अनुराग का वर्णन होता है वहाँ भक्ति रस होता है। 
 

 

शृंगार रस (इसका स्थाई भाव रति (प्रेम) है) जिस रस में नायक नायिका के प्रेम, मिलने, बिछुड़ने जैसी क्रियायों का वर्णन हो।
श्रंगार रस के दो भेद होते हैं :
* संयोग श्रृंगार - जहाँ नायक-नायिका के मिलन का वर्णन होता है वहाँ सहयोग श्रृंगार होता है।
जैसे - बतरस लालच लाल की, मुरली धरी लुकाय। कहां करें, भौंहनी हंसे, दैन कहै, नटि जाय।
* वियोग श्रृंगार - जहां नायक-नायिका की वियोगावस्था (विरह) का वर्णन होता है वहां वियोग श्रृंगार होता है।
जैसे - निस दिन बरसत नैन हमारे। सदा रहत पावस ऋतु हम पे जबते स्याम सिधारे।
अद्भुत रस (इसका स्थाई भाव आश्चर्य है) आश्चर्यजनक वर्णन के द्वारा उत्पन्न विभावों की अवस्था।

जैसे – देख यशोदा शिशु के मुख में सकल विश्व की माया। क्षणभर को वह बनी अचेतन हिल न सकी कोमल काया।
शांत रस (इसका स्थाई भाव निर्वेद है) अनित्य और असार तथा परमात्मा के वास्तविक ज्ञान से विषयों के वैराग्य से उत्पन्न रस परिपक्व होकर शांति में परिणत हो।

जैसे – मन रे तन कागद का पुतला। लागे बूंद बिनसि जाय छिन में, गरब करें क्या इतना।
 

Additional Information

  • श्रव्य काव्य के पठन अथवा श्रवण एवं दृश्य काव्य के दर्शन तथा श्रवण में जो अलौकिक आनन्द प्राप्त होता है, वही काव्य में रस कहलाता है।
  • रस के जिस भाव से यह अनुभूति होती है कि वह रस है उसे स्थायी भाव होता है। 
  • रस, छंद और अलंकार - काव्य रचना के आवश्यक अव्यय हैं।
  • रस का शाब्दिक अर्थ है - आनन्द। काव्य में जो आनन्द आता है वह ही काव्य का रस है। 
  • काव्य में आने वाला आनन्द अर्थात् रस लौकिक न होकर अलौकिक होता है। रस काव्य की आत्मा है। 
  • संस्कृत में कहा गया है कि "रसात्मकम् वाक्यम् काव्यम्" अर्थात् रसयुक्त वाक्य ही काव्य है।

 

'भक्तिरस' के प्रतिष्ठापक आचार्य इनमें से कौन हैं?  

  1. रूपगोस्वामी 
  2. आचार्य भरत 
  3. आचार्य विश्वनाथ 
  4. आचार्य मम्मट 

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : रूपगोस्वामी 

भक्ति रस Question 15 Detailed Solution

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'भक्तिरस' के प्रतिष्ठापक आचार्य है- रूप गोस्वामी

Key Pointsरूप गोस्वामी - 

  • इन्होने देव विषयक रति को स्थायीभाव मानकर 11 वें रस भक्तिरस का प्रतिपादन किया है। 
  • भक्ति के आधार 5 रसों की कल्पना की - शांत, दास्य (प्रीति) सख्य (प्रेयस) वात्सल्य और माधुर्य रस।

Important Pointsआचार्य विश्वनाथ-

  • जन्म-1300-1384ई.
  • आचार्य विश्वनाथ संस्कृत काव्य शास्त्र के मर्मज्ञ और आचार्य थे।
  • प्रसिद्ध ग्रंथ-'काव्यप्रकाश'

आचार्य भरतमुनि-

  • इनका समय 400ई. पू. 100ई. सन माना जाता है।
  • इन्होने नाट्यशास्त्र की रचना की।

मम्मट-

  • जन्म-11वीं शती
  • मम्मट संस्कृत काव्यशास्त्र के सर्वश्रेष्ठ विद्वानों में जाने जाते हैं।
  • वे अपने शास्त्रग्रंथ काव्यप्रकाश के कारण अधिक प्रसिद्ध हुए।​
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