Question
Download Solution PDF"कबहुँक हों यही रहनि रहोंगे। श्री रघुनाथ कृपाल कृपा तें संत सुभाव गहओंगो॥ " पंक्ति में कौन-सा रस है?
This question was previously asked in
DSSSB TGT Hindi Female 04 Sep 2021 2nd Shift (Subject Concerned)
Answer (Detailed Solution Below)
Option 2 : शांत रस
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Detailed Solution
Download Solution PDFउपर्युक्त विकल्पों में से विकल्प "शांत रस" सही है तथा अन्य विकल्प असंगत है।
- कबहुँक हों यही रहनि रहोंगे।
- श्री रघुनाथ कृपाल कृपा तें संत सुभाव गहओंगो ॥
- उपर्युक्त पंक्ति में शांत रस है।
- उपर्युक्त पंक्ति तुलसी दास की है।
- शांत रस का अन्य उदाहरण
- मन रे तन कागद का पुतला।
- लागै बूँद बिनसि जाय छिन में, गरब करै क्या इतना॥
- यह पंक्ति कबीर की है।
- शांत रस
- शांत रस का उल्लेख यहाँ कुछ दृष्टि और शांत स्वभाव आवश्यक है।
- इसके स्थायीभाव के संबंध में ऐकमत्य नहीं है।
- कोई शम को और कोई निर्वेद को स्थायी मानता है।
- करुण रस का उदाहरण
- मुख मुखाहि लोचन स्रवहि सोक न हृदय समाइ।
- मनहूँ करुन रस कटकई उत्तरी अवध बजाइ॥
- (तुलसीदास)
- भयानक रस का उदाहरण
- अखिल यौवन के रंग उभार, हड्डियों के हिलाते कंकाल
- कचो के चिकने काले, व्याल, केंचुली, काँस, सिबार।
- भक्ति रस का उदाहरण
- अँसुवन जल सिंची-सिंची प्रेम-बेलि बोई।
- मीरा की लगन लागी, होनी हो सो होई।।
- (मीरा)
- रस - स्थायी भाव
- श्रंगार रस :- रति
- हास्य रस :- हास, हँसी
- वीर रस :- उत्साह
- करुण रस :- शोक
- शांत रस :- निर्वेद, उदासीनता
- अदभुत रस :- विस्मय, आश्चर्य
- भयानक रस :- भय
- रौद्र रस :- क्रोध
- वीभत्स रस :- जुगुप्सा
- वात्सल्य रस :- वात्सल्यता, अनुराग
- भक्ति रस :- देव रति
Last updated on May 12, 2025
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