मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) अध्यादेश 2018 में प्रावधान है:

(I) यह तत्काल तीन तलाक को अवैध घोषित करता है और इसे अपराध घोषित करता है।

(II) यह तलाक की घोषणा को गैर-जमानती अपराध बनाता है।

(III) तलाक की घोषणा करने वाले पति को जुर्माने के साथ दो वर्ष तक की कैद हो सकती है।

(IV) यह उस मुस्लिम महिला को अधिकार देता है जिसके खिलाफ ट्रिपल तलाक घोषित किया गया है, वह अपने पति से अपने और अपने आश्रित बच्चों के लिए निर्वाह भत्ता मांग सकती है।

  1. (I) और (IV)
  2. (I), (III) और (IV)
  3. (I), (II) और (IV)
  4. उपरोक्त सभी

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : (I) और (IV)

Detailed Solution

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सही उत्तर विकल्प 1 है।

Key Pointsइसे विवाहित मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करने और उनके पतियों द्वारा तलाक कहकर तलाक पर रोक लगाने तथा उससे जुड़े या उसके आनुषंगिक मामलों का प्रावधान करने के लिए अधिनियमित किया गया था। अधिनियम यह प्रावधान करता है कि -
(i) किसी भी रूप में तीन तलाक की कोई भी घोषणा शून्य होगी।
(ii) तीन तलाक देने पर पति को दंडित किया जाएगा, जिसमे एक अवधि के लिए कारावास जिसे तीन वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है। और जुर्माना भी देना होगा,
(iii) अपराध संज्ञेय होगा और समझौता योग्य होगा,
(iv) तलाक के बाद पत्नी और आश्रित बच्चे निर्वाह भत्ते के हकदार होंगे।
(v)अध्यादेश अपराध को जमानती या गैर-जमानती के रूप में निर्दिष्ट नहीं करता है, लेकिन अधिनियम निर्दिष्ट करता है कि जमानत उसके मजिस्ट्रेट विवेक पर निर्भर है।

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